चौराहों पर शीघ्र फ्लैक्सी लगाकर बल्ेकमेल करते हुए की जाएगी पहचान उजागर
मठ-मंदिरों और निर्माण कार्यों को बनाते हैं निशाना, लोग परेशान
हरिद्वार। संत बाहुल्य नगरी हरिद्वार में भिखारी, लुटेरे और दलाल किस्म में कथित पत्रकारों से तीर्थनगरी के संत, व्यापारी, खनन कारोबारी और आम जनता त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है। बावजूद ऐसे लुटेरों के खिलाफ प्रशासन कोई सख्त कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है। जिंदगी भर मेहनत कर अपनी जमा पूंजी से अपने व अपने बच्चों के लिए आशियाना बनाने वाले लोग इन आतंकी पत्रकारों के कारण खासे परेशान हैं। हरिद्वार के कुछ कथित पत्रकारों द्वारा लोगों का मानसिक व आर्थिक उत्पीड़न का सिलसिला जारी है। इन कथित लुटेरों पत्रकारों के साथ कुछ दलाल किस्म के अधिकारी भी शामिल हैं। या यूं कहें की इस आतंक को अमलीजामा पहनाने के लिए कुछ कथित भिखारी पत्रकार और अधिकारियों का गठजोड़ हैं, जो जनता का दोहन कर मजे लुटने का कार्य कर रहे हैं।
ऐसे ही लुटेरे पत्रकारों का आतंक बीते दिनों देखने को मिला। जहां इन्होंने कुछ कथित अधिकारियों की दलाली कर लोगों को परेशान करने का कार्य किया। जबरन वसूली करने के बाद भी पत्रकारों द्वारा उत्पीड़न का सिलसिला जारी है।
आलम यह है कि ऐसे लुटेरे पत्रकार किसी के भी घर, आश्रम, प्रतिष्ठान में जबरन घुस जाते हैं और फिर शुरू होता है इनका फिल्मी स्टाईल में एक्शन, कट का सिलसिला। कैमरा घुमाने के बाद इनका ब्लैकमेल करने का सिलसिला आरम्भ हो जाता है। आम आदमी पचड़ों से बचने के लिए इनके कटोरे में भीख डाल देता है, जिस कारण से इनके हौंसले दिन प्रतिदिन बुलंद होते जा रहे हैं। कहावत है कि बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी, ऐसा ही कुछ इन पत्रकारों के साथ होने वाला है। इन लुटेरे पत्रकारों ने एक व्यक्ति का मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न किया, किन्तु उन्हंे ये मालूम नहीं था की सारी घटना वहां लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई है।
लुटेरे पत्रकारों के उत्पीड़न से परेशान होकर पीडि़त ने अब इनको सबक सिखाने का मन बना लिया है। अब ऐसे पत्रकारों की पहचान को शीघ्र ही समाज के सामने उजागर करने का निर्णय ले लिया गया है।
अब ब्लैकमेल करने वाले पत्रकारों की ब्लैकमेल करते हुए फोटो को ठीक उसी प्रकार से उजागर किया जाएगा, जिस प्रकार से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने चौराहों पर पोस्टर लगाकर किया था। शीघ्र ही उन पत्रकारों के फोटो भूपतवाला से लेकर बहादराबाद तक प्रत्येक मुख्य चौराहों पर लगाए जाने का निर्णय लिया जा चुका है, जो लोगों को प्रताडि़त कर परेशान करने का कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही ऐसे लुटेरों के खिलाफ पुलिस कार्यवाही भी की जाएगी। जिससे पत्रकारिता के लिए कलंक बन चुके कथित पत्रकार लुटेरों के आतंक से तीर्थनगरी को निजात दिलायी जा सके।
पीडि़त का कहना है कि समाज को सही दिशा में ले जाना है और पत्रकारिता को बचाए रखना है तो पत्रकारों के साथ तीर्थनगरी की जनता को मिलकर इस लड़ाई में आगे आना होगा।
सबसे हैरानी की बात यह कि ऐसे लुटेरे पत्रकारों के कई गुट हैं। कुछ लोग अपने साथ महिलाओं को भी ढाल की तरह इस्तेमाल करने के लिए साथ लेकर चलते हैं। जिससे की कहीं पाशा उलटा पड़ जाए तो महिलाओं को ढाल बनाकर बचा जा सके और पीडि़त को ही फंसाया जा सके।
इससे भी हैरानी की बात यह है की इनका कुछ विभागों के कर्मचारियों के साथ भी मजबूत गठजोड़ है। जो एक-दूसरे का सहारा लेकर शहर की जनता को परेशान कर उगाही के कार्य को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। कुछ भी प्रतिक्रिया करने पर इनके द्वारा ब्लैकमेल का सिलसिला शुरू हो जाता है। हैरानी की बात यह की पांच-पांच सौ रुपये की भीख के लिए दर-दर भटकने वाले ऐसे लुटेरे पत्रकार लाखों रुपये की डिमांड करते हैं, जो आम आदमी के बस से बाहर होता है।
मजेदार बात यह है इनका निशाना अब संत भी बनने लगे हैं। आलम यह कि हरिद्वार में संतों की दुर्गति की जा रही है। धार्मिक नगरी में संतों के लिए अपने पुराने मकान की मरम्मत कराना भी पाप हो गया है। पीडि़त की व्यथा है कि धर्मनगरी में यदि आश्रम मठ-मंदिर नहीं बेनेंगे तो क्या मस्जिदों का निर्माण कराया जाएगा। किसी अन्य धर्म के लोगों के साथ लुटेरे पत्रकारों द्वारा ऐसा आचरण नहीं किया जाता। कारण की वहां ऐसा करने पर मार खानी पड़ेगी।
पत्रकारों के इस आतंक के संबंध में सभी जानते हैं, किन्तु इस दिशा में कोई पहल करने के लिए आगे आने के लिए कोई तैयार नहीं है। अब एक पीडि़त व्यक्ति ने आगे आने का मन बनाया है। पूरे सबूतों के साथ वह अब इन लुटेरे पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है। साथ ही पूरी तीर्थनगरी में ब्लैकमेल करते हुए पत्रकारों की बड़ी-बड़ी फ्लैक्सी लगाने का भी उन्होंने निर्णय लिया है, जिससे उनकी पहचान समाज के सामने उजागर हो सके और पत्रकारिता की गरिमा को भी बचाया जा सके, साथ ही इनके उत्पीड़न से लोगों को निजात मिले।
वहीं इस संबंध में उन मठों और अखाड़ों को भी विचार करना चाहिए, जिनके कारण इन लुटेरे पत्रकारों की भीड़ बेतहाशा बढ़ती जा रही है।