त्याग का उपदेश देने वाले कैसे फंसे हैं मायाजाल में
सम्पत्ति पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करेगी हिन्दू रक्षा सेना
हरिद्वार। फर्जी बैठक दिखाकर अरबों की भारत साधु समाज की सम्पत्ति हड़पने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज द्वारा फर्जी तरीके से बैठक कर उनको बैठक में शामिल होना दर्शाने के बाद उन्होंने इस मामले में मुकद्मा दर्ज कराया है, किन्तु सम्पत्ति को खुर्द-बुर्द करने की कोशिश विगत एक वर्ष से अधिक समय से चल रही है।
बता दें कि करीब एक वर्ष पूर्व ऋषिकेश स्थित भारत साधु समाज की सम्पत्ति पर बतौर अध्यक्ष बाबा बलराम दास हठयोगी व स्वामी ऋषिेश्वरानंद महाराज महामंत्री काबिज थे। इसी दौरान अचानक सम्पत्ति पर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी गुट द्वारा कब्जा कर लिया गया। जिसके बाद वहां जमकर हंगामा हुआ था। जिसका विरोध कांग्रेस नेता एड़. राजेश रस्तोगी ने किया और प्रर्दशन भी किया था साथ ही पुलिस के समक्ष अपनी बात भी रखी। इस दौरान स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज भी मौजूद रहे। स्वामी ऋषिश्वरानंद व ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी दोनों ही अपने दावे को सही ठहराते रहे। दोनों पक्षों का कहना था कि भारत साधु समाज पर उनका दावा सही है। सूत्र बताते हैं कि सम्पत्ति पर जबरन कब्जा होने के बाद और पुलिस द्वारा कोई सुनवाई न होने पर स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने 15-20 लोगों को कानूनी नोटिस भेजा था। जबकि इस बॉड़ी में करीब 50 लोग शामिल होना बताया गया है।
सूत्र बताते हैं कि जिन लोगों को नोटिस भेजा गया उन्होंने इस मामले से अपना पल्ला झाड़ते हुए किसी भी प्रकार का कोई भी लेना-देना ना होने की बात कही। सूत्रों के मुताबिक यह चर्चा है कि जब बैठक की प्रक्रिया ही फर्जी थी और जिन संतों को नोटिस दिया गया उन्होंने इस मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया तो ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी कैसे भारत साधु समाज के कार्यकारी अध्यक्ष बन गए। सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी स्वामी ऋषिश्वरांनद के यहां मामले के तूल पकड़ने पर माफी मांगने भी पहुंचे थे। जहां दोनों के बीच सूत्रों के मुताबिक इस बात पर सहमति बनी की ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी मुकद्मा वापस ले लें तो वह इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं करेंगे, किन्तु ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने मुकद्मा वापस नहीं लिया। जिसकी परिणति यह हुई की महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज को इस मामले में आगे आना पड़ा।
सूत्र बताते हैं कि हालांकि मामले को निपटाने के लिए अंदरखाने प्रयास किए गए, किन्तु अरबों की सम्पत्ति के लालच में सभी प्रयास विफल रहे। उधर स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज का कहना है कि प्रेसवार्ता और स्वामी केश्वानदं महाराज के खिलाफ दर्ज कराए गए मुकद्मेें से उनका कोई लेना-देना नहीं है। हां इतना जरूर है कि विवाद उत्पन्न होने के समय उन्होंने बतौर संस्था के महामंत्री कुछ संतों को इस मामले में नोटिस भेजा था, जिनका उन्होंने जवाब भी दे दिया था।
स्वामी प्रबोधानंद ने कहाकि यह सम्पत्ति हड़पने की रणनीति है। जो फर्जा बैठक की गई उसमें दो लोगों ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी व स्वामी केशवानंद को कब्जा करने का अधिकार दिया गया, जिसके बाद उन्होंने सम्पत्ति पर कब्जा किया। स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज का कहना है कि सम्पत्तियों पर कब्जे की रणनीति को अब चलने नहीं दिया जाएगा। हिन्दू रक्षा सेना ऐसे लोगों का डटकर मुकाबला करेगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहाकि जिन संतों ने भी अवैध कब्जे किए हुए हैं उनके खिलाफ भी मोर्चा खोला जाएगा और गुण्डागर्दी को हिन्दू रक्षा सेना अब नहीं चलने देगी।
कुल मिलाकर लोगों को त्याग करने और मोह माया से दूर रहने का उपदेश देने वाले कथित संत कैसे स्वंय माया के जाल में फंसकर संत समाज की फजीहत कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।