ट्रस्टी बनने की चाहतः सदैव के लिए महिला व उसके चाहने वालों के अरमानों पर फिर सकता है पानी!

महिला को ट्रस्टी बनाने की चाहत धोखाधड़ी करने वालों को पहुंचा सकती है हवालत


हरिद्वार। संत बाहुल्य नगरी हरिद्वार में संतों के बीच सबसे अधिक विवाद सम्पत्ति को लेकर ही चल रहे हैं। अधिकांश धार्मिक सम्पत्तियों पर कोई न कोई विवाद चल ही रहा है। कुछ ही ऐसी हैं जो विवादों से बची हुई हैं। इसी के साथ अपना अधिकार बनाने के लिए सम्पत्ति में ट्रस्टी बनने की भी होड़ मची हुई है। हर कोई अपने व्यक्ति को ट्रस्ट में शामिल करने में लगा हुआ है। ऐसा ही एक कथित धार्मिक ट्रस्ट है, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है, फिर भी उसमें ट्रस्टी बनने के लिए काफी समय से जोड़-तोड़ के प्रयास किए जा रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि बिना स्वामित्तव वाले एक धार्मिक कथित ट्रस्ट में एक स्थान खाली हो जाने के बाद एक महिला को ट्रस्टी बनाने की कवायद की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि हालांकि महिला को ट्रस्टी बना भी दिया गया और उसके ट्रस्टी बनने पर कथित अध्यक्ष ने अपनी आपत्ति भी लगा दी, बावजूद इसके बनाने और आपत्ति जताने वाले दोनों ही महिला को ट्रस्टी बनाना चाहते हैं। मजेदार बात यह कि जिन दो लोगों ने महिला को ट्रस्टी बनाया उन्हें ट्रस्टी बनाने का अधिकार ही नहीं है। साथ ही बनाया तो उनके पास कार्यवाही रजिस्टर कहां से आया, जबकि कार्यवाही रजिस्टर उनके पास हो नहीं सकता।


सूत्रों के मुताबिक कथित ट्रस्ट में एक स्थान रिक्त होने के बाद जोड़-तोड़ कर एक महिला को दो सदस्यों ने मिलकर ट्रस्टी बना दिया। जिसके बाद महिला की नियुक्ति पर कथित ट्रस्ट के कथित अध्यक्ष ने आपत्ति जता दी। जिसके बाद महिला को आपत्ति के खिलाफ कोर्ट में जाकर स्टे लाने की भी सलाह दी गई। महिला कोर्ट चली भी गई, किन्तु यहां भी उसके अरमानों पर पानी फिरता हुआ दिख रहा है।


सूत्र बताते हैं कि महिला को ट्रस्टी तो बनाना ही था, किन्तु महिला के विरोध में कोई सामने न आ जाए, इसके लिए रणनीति बनाई गई। कथित ट्रस्ट के कथित अध्यक्ष ने पहले अपने दो गुर्गों को कहकर उन्हें उन दोनों की सहमति से ट्रस्टी बना दिया और फिर स्वंय उस पर आपत्ति कर महिला को कोर्ट जाने की सलाह दी गई। आपत्ति इसलिए की जिससे की विवाद उत्पन्न होने पर यह सिद्ध न हो सके की महिला को सबकी रजामंदी से ट्रस्टी बनाया गया।


सूत्रों के मुताबिक धर्म की आड़ लेकर धर्म के पैसों पर मजे लुटने वालों को यह उम्मीद थी कि कोर्ट में जाने के बाद कोर्ट महिला को आपत्ति के खिलाफ स्टे दे देगा और महिला सदैव के लिए ट्रस्टी बन जाएगी और कोई आपत्ति भी नहीं कर पाएगा। कथित अध्यक्ष ने एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास किया, किन्तु उनके अरमानों पर पानी फिरता दिखायी दे रहा है। कथित अध्यक्ष को उम्मीद थी कि इस मामले का किसी को पता नहीे चलेगा और उनका काम हो जाएगा, किन्तु मामला संज्ञान में आते ही महिला की आपत्ति पर भी आपत्ति लगा दी गई है। सूत्र बताते हैं कि महिला टस्ट्री बनने के योग्य नहीं है। ऐसे में यदि निर्णय विपरीत हुआ तो महिला सदैव के लिए कथित ट्रस्ट की ट्रस्टी नहीं बन पाएगी। जिसके साथ ही महिला और उसके चाहने वालों के अरमानों पर पानी फिरना तय माना जा रहा है। इसके साथ ही महिला को ट्रस्टी बनाने को लेकर की गई धोखाधड़ी में एक सामाजिक कार्यकर्ता आपराधिक मुकद्मा दर्ज कराने की तैयारी में है।

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