हरिद्वार। अभी तक संतों को आशीर्वाद देकर दूसरों के कष्टों को दूर करते हुए तो सुना था, किन्तु अब तथाकथित संत लोगों को कष्ट देने पर आमादा हैं। जिस कारण से काफी लोग संत के कारण परेशान हैं। हालांकि परेशान लोगों की फेहरिस्त काफी लम्बी है, किन्तु फिलहाल दो लोग अधिक परेशान हैं। दर्जनों चक्कर काटने के बाद भी उनका पैसा उन्हें नहीं मिल रहा है। इनमें से कनखल निवासी एक कपड़े का व्यवसायी है तो दूसरा दूध की डेयरी वाला। बाबा इन दोंनों से समाना लेने के बाद भी पैसा नहीं दे रहा है। कनखल निवासी कपड़ा व्यवसायी से बाबा ने 80 हजार रुपये का कपड़ा खरीदा और ऐश लिए। अब कपड़ा व्यवसायी अपने 80 हजार रुपये मांग रहा है तो बाबा रोज चक्कर कटवा रहा है। या फिर मिलता ही नहीं। वहीं दूध डेयरी वाले का बाबा सवा लाख का पनीर, दूध, लस्सी डकार गया। जब पैसे देने का नम्बर आया तो बाबा ने अपनी सूरत दिखानी भी बंद कर दी। पैसे फंस जाने के कारण दोनों व्यापारी खासे परेशान हैं। जबकि बिजनौर का व्यापारी भी ढाई करोड़ की रकम फंसाकर आए दिन घंटों बाबा के दरवाजे बैठकर चला जाता है, किन्तु बाबा है कि मिलता ही नहीं। वहीं अपर रोड़ स्थित एक प्रापर्टी डीलर भी बाबा का शिकार होकर परेशान घूम रहा है।
वहीं एक व्यक्ति द्वारा खरीदी गयी जमीन में भी बाबा ने टांग अड़ा रखी है। बाबा बिना किसी बात के उससे रकम की मांग कर रहा है। रकम देने से मना करने पर बाबा ने व्यक्ति को अब कोर्ट के चक्कर कटवाने पर मजबूर कर दिया है। बाबा का मानना है कि यदि आराम से पैसा नहीं देता है तो कोर्ट के चक्कर काटकर परेशान होने पर वह पैसा तो देगा ही। मजेदार बात यह कि दर्जनों लोगों का पैसा डकार जाने के बाद भी बाबा मजे लूट रहा है। वहीं सूत्र बताते हैं कि विगत दिनों रूड़की में एचआरडीए की कार्यवाही के कारण एक मकान के टूटने की नौबत आने पर बाबा लाईजनिंग में भी लगा रहा। बाबा ने अधिकारियों पर दवाब बनाया जिस कारण से मामले में बाबा के कूदने पर अधिकारी भी शांत होकर बैठ गए। बाबा यूं ही लगातार लोगों के पैसे ऐंठकर ठाठ का जीवन गुजार रहा हैं। नेताओं और अधिकारियों के लिए दलाली भी कर रहा है, जनता का लगातार बेवकूफ भी बना रहा है, किन्तु बाबा के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कोई तैयार नहीं है। जबकि बाबा की पोलपट्टी क्या अधिकारी और क्या नेता सभी जानते हैं। नेताओं और अधिकारियों के वरदहस्त के कारण बाबा लोगों को दिन-रात लूटने में लगा हुआ है।

व्यापारियों की गुहार, दूध व कपड़े के पैसे तो दे दो महाराज


