संत को मात देने के लिए दो ठगों ने मिलाया हाथ
हरिद्वार। कलियुग में सगठन को एक बड़ी शक्ति बताया गया है। जिसका उदाहरण स्वंय को त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति बताने वाले भगवाधारियों के बीच देखने को मिला। संगठित होने के कारण कथित ठग बाबा और साध्वी ने मिलकर तीसरे दानी बाबा की हवा निकाल दी। हालांकि बाबा पावरफुल हैं। जो चाहें वह करने की क्षमता रखते हैं, किन्तु भगवाधारी ठगों के आगे कैसे वे सरेण्डर हो गए, यह प्रश्न विचारणीय बना हुआ है।
विदित हो कि भगवान महाकाल की नगरी में विगत दिनों एक ठग साध्वी का रुपये लेकर संतों को पदवी दिलवाने का मामला खासा चर्चा में रहा। इस मामले में कथित साध्वी को जेल की हवा भी खानी पड़ी। ठग साध्वी का घर से निष्कासन भी किया गया। बावजूद इसके जेल जाने की टीस साध्वी के मन से नहीं गई।
सूत्र बताते हैं कि कथित साध्वी को हरिद्वार के जिस संत से सहयोग की अपेक्षा थी संकटकाल में वह नहीं मिल पाया। इसी कारण से साध्वी का पारा चढ़ गया। वहीं दूसरी ओर हरिद्वार के एक अन्य संत पर भी अपदस्थ होने की तलवार लटकी हुई थी और आज भी है। इसी का फायदा उठाते हुए संत ने साध्वी से हाथ मिलाया और अपनी सुरक्षा तथा साध्वी के बदला लेने की आग को शांत करने के लिए हरिद्वार के एक दानी तथा बड़े संत के खिलाफ प्रेसवार्ता करने के लिए तैयार किया।
सूत्र बताते हैं कि प्रेसवार्ता की पूरी तैयारियां हो चुकी थी। प्रेसवार्ता को हथियार बनाकर हरिद्वार के एक बड़े संत को मात देने का पूरा प्लान भी तैयार हो गया था। दो ठगों के गठजोड़ ने ऐसा कमाल किया की पावरफुल संत को न जाने क्या हुआ की उन्होंने स्वंय को ठग बाबा के समक्ष सरेण्डर कर दिया। मुलाकात भी हुई। गलबहियां भी डाली गईं और इसी हथियार से संत को ठगों ने शांत कर दिया। इसके पीछे का राज क्या है, इसका खुलासा भी शीघ्र होने की उम्मीद है।
हालांकि संत पावरफुल हैं। वे जो चाहे ठगों के खिलाफ एक्शन ले सकते हैं, किन्तु किस कारण से उन्हें चुप होना पड़ा यह प्रश्न विचारणीय बना हुआ है। सूत्र बताते हैं कि फिलहाल सब कुछ सामान्य है, किन्तु यह सब बड़ा तुफान आने की ओर इशारा कर रहा है। प्रयागराज कुंभ में इस तुफान का बड़ा प्रकोप देखने को मिल सकता है। ठगों की क्या मंशा थी और संत को क्यों चुप्पी साधनी पड़ी इसका खुलासा भी शीघ्र किया जाएगा।