स्वामी रूद्रानंद गिरि महाराज ने कहाकि उनके द्वारा अग्नि, निरंजनी अखाड़े, अखाड़ा परिषद, भारत साधु समाज पर पूर्व में कई सवालिया निशान लगाये गए। उन्होंने कहाकि सवालिया निशान लगाने के कई माह बाद तक किसी संत-महात्मा ने उसका प्रत्युत्तर देने की हिम्मत नहीं जुटाई। उन्होंने कहाकि गलत लोगों के खिलाफ नहीं बोलना भी परोक्षरूप से उनका समर्थन करना होता है। उन्होंने कहाकि उनका उद्देश्य संत समाज के कुछ गलत लोगों के कारनामों की वजह से पूरे संत समाज को बदनाम होने से बचाना है। स्वामी रूद्रानंद गिरि महाराज ने कहाकि ऐसे लोग अपने धन बल के आधार पर कुछ संतों को चंद टुकड़े डालकर अपना समर्थक बना लेते हैं। बैशक इन लोगों का संख्या बल सच्चे संतों से ज्यादा है। परन्तु सनातन धर्म के शास्त्र बताते हैं कि जीत धर्म की होती है, संख्या बल की नहीं। संत-महात्मा समाज के मार्गदर्शक हैं और धर्म के आधार हैं। जब संत-महात्मा गलत हो जायेंगे तो भविष्य में धर्म और संतों का क्या हाल होगा। उन्होंने श्री महंत आत्मानंद महाराज को दिल से साधुवाद देते हुण् कहाकि उन्होंने मेरे कुछ सवालों का प्रत्युत्तर देने की शुरुआत की। मैं चाहूंगा कि इनकी प्रेरणा लेकर और भी संत-महात्मा आगे आएं और गलत काम करने वाले संतों का समाज में पर्दाफाश करने का कार्य करें। उन्होंने कहाकि आज संत का चोला पहनकर कुछ लोग व्यापार करने लगे हैं। जिससे समूचे संत समाज पर सवालिया निशान लग रहे हैं। उन्होंने कहाकि संत का चोला ओढ़कर व्यापार करने वाले संत नहीं हो सकते।

स्वामी रूद्रानंद ने की अधर्म के खिलाफ आगे आने की अपील, स्वामी आत्मानंद को दिया साधुवाद


