शकराचार्यों की नियुक्ति कोर्ट की अवमानना: श्री धर्म रक्षा सेना

अखिल भारतीय श्री धर्म रक्षा सेना के राष्ट्रीय संयोजक जानकीशरण अग्रवाल ने कहाकि ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने कोई वसीयत नहीं बनाई है। यदि बनाई होती तो वह रजिस्टर्ड अवश्य कराते। उन्होंने कहाकि जिस वसीयत की बात तथाकथित सचिव कर रहे हैं वह फर्जी है। दरअसल इनके पास कोई वसीयत है ही नहीं है।

उन्होंने कहाकि स्वामी स्वरूपानंद ने एक न्यूज चैनल को वर्ष 2012 में व 22 नवम्बर 2020 में उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से कहा था कि ज्योतिष पीठ व द्वारका शारदा पीठ पर अपना उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं किया है। इस बात की पुष्टि भी गोवर्धन पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने ट्विट और वीडियो के माध्यम से तथाकथित शंकराचार्यआंे की नियुक्ति को अवैध बताया है। श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ महाराज का भी अभी तक पत्र व वीडियो जारी नहीं किया है। दोनों तथाकथित शंकराचार्य के सचिव ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद ने ज्योतिष पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद एवम् द्वारका शारदा पीठ पर स्वामी सदानंद की नियुक्ति का यह बयान जारी करना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण हैं। जबकि स्वामी स्वरूपानंद ने ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य स्वयं को घोषित करने 28 जून 1974 को एक वाद संख्या 1अ/1974 सिवनी अदालत में दायर किया था। जो कि आज तक इलाहाबाद कोर्ट में लंबित है।

उन्होंने कहाकि न्याय क्षेत्र इलाहाबाद होने के कारण सहारनपुर कोर्ट में चल रहे वाद संख्या 57/97 स्वामी माधव आश्रम बनाम स्वामी स्वरूपानंद वाले मामले में स्वामी स्वरूपानंद ने बयान दिया है कि स्वामी कृष्णबोधाश्रम ने हमंे ज्योतिष पीठ का उत्तराधिकारी शंकराचार्य बनाया है, जबकि वे स्वयं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य नहीं थे। इलाहाबाद कोर्ट ने 15 जनवरी 1970 को वाद संख्या 36/1965 का निराकरण करते हुए स्वामी कृष्णबोधाश्रम को शंकराचार्य कहने और प्रतीक चिन्हों को धारण करने से निषेध किया।
उन्होंने कहाकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में माननीय जजों ने जब स्वामी स्वरूपानंद जी के गुरु स्वामी कृष्णबोधाश्रम ही ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य नहीं माना तब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य संबोधित करना कोर्ट की अवमानना है। वर्तमान में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद गिरि हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या के संरक्षक पद पर ज्योतिष पीठ शंकराचार्य नाम से सम्बोधित किया है।


विदित हो कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के दोनों न्यायाधीशों ने स्वामी स्वरूपानंद का ज्योतिष पीठ पर से दावा खारिज कर दिया है। मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उन्होने कहाकि दूसरे तथाकथित स्वयंभू शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती पूर्व नाम रमेश अवस्थी पुत्र विद्याधर अवस्थी के खिलाफ सिविल न्यायालय में एक वाद दायर किया गया है। जिसमें कहा गया है कि सदानंद उर्फ रमेश अवस्थी के क्रियाकलाप एवं उनके चाल चलन एक दंडी सन्यासी के व्यवहार उसके नियम के विरूद्ध हैं। दंडी सन्यासी के शास्त्रों पुराणों में जो नियम मर्यादायंे निर्धारित की हैं उसके अनुरूप नहीं है। इसलिए उन्हें दंडी सन्यासी स्वामी कहने से निषेध किया जाए। तथा षड्यंत्र पूर्वक शंकराचार्य बनने के प्रयास को भी रोका जाए। उन्होंने कहा कि वाद दायर करने का उद्देश्य सनातन धर्म में ऐसे लोगों को रोका जाए। जो सनातन संस्कृति को नुकसान पहुंचा रहे है। उन्होंने कहाकि अदालत में मामला लम्बित रहने के बाद भी उनकी नियुक्ति अवैध है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *