नाग पंचमी मंगलवार को, जानिए सर्प दोष से बचने के लिए कैसे करें पूजा

काल सर्प दोष नाम का कोई भी योग नहीं, फैला रहे हैं भ्रमः मिश्रपुरी
हरिद्वार।
भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी कनखल के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि भारतवर्ष ही एक देश ऐसा है, जहां पर पेड़-पौधों, जानवरांे को भी पूजा जाता है। दीपावाली पर बिल्ली और उल्लू की पूजा का विधान है, तो वहीं पर भाद्रपद मास में गाय का पूजन होता है। ठीक इसी प्रकार से श्रावण शुक्ल पंचमी को नागों की पूजा का विधान है। इस तिथि को नाग पंचमी कहा जाता है।

उन्होंने बताया कि जिस प्रकार मनुष्य एक जाति है, ठीक इसी प्रकार यक्ष, गधर्व, नाग, किन्नर की भी जातियां कही गई हैं। ये सभी उत्सव हमारे पशु प्रेम को दर्शाते हैं। इनके बहुत फायदे भी पुराणों में कहे गए हैं। पं. मिश्रपुरी के मुताबिक जिनकी कुंडली में सर्प दोष होता है अर्थात सभी क्रूर ग्रह जिसमें शनि, मंगल, सूर्य केंद्र में हों तथा कोई भी शुभ ग्रह केंद्र में ना हो तो सर्प दोष होता है।

इस योग में जन्म लेने वाला जातक, सर्प के समान ही क्रोध करने वाला, कानों से न सुनने वाला, अपने ही परिवार को समाप्त होता देखता है। यह दोष यदि महिला जातक पर तो इस दोष का और भी अधिक कुप्रभाव देखने को आता है। यदि नाग पंचमी का व्रत करके इसी दिन संध्या काल में चांदी या तांबे का सर्प का जोड़ा भगवान शिव पर अर्पण करने से सर्प दोष की निवृति होती है। उन्होंने बताया कि इस दिन दुग्ध का सेवन, व्रत करने वाले को नहीं करना चाहिए। फल, अनार, आम नारियल, अनानास खाना चाहिए। रात्रि में शिव की परिक्रमा करके व्रत का पारायण किया जाता है।

उन्होंने बताया कि इस बार 2 अगस्त को नाग पंचमी है। इसी दिन ऋगवेद को मानने वाले समस्त ब्रह्मण अपना उपकर्म करते हैं। मिश्रपुरी ने कहाकि सर्प दोष का वर्णन ऋषि पाराशर ने अपने नाभस योग अध्याय में किया है। हमारे किसी प्राचीन ग्रंथ में काल सर्प योग का वर्णन नहीं है। कुछ लोग काल सर्प दोष बताकर भ्रामकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं।

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