चुनाव में कांग्रेस की रणनीति ही बनेगी उसकी परेशानी का सबब

हरिद्वार। चुनावी शंखनाद हो चुका है। आज नामांकन का आखिरी दिन है। अंतिम दिन तक भी टिकट वितरण में ऊहापोह की स्थिति बनी रही। जिसके चलते भाजपा ने डोईवाला और टिहरी ने ब्रजभूषण गैरौला व किशोर उपाध्याय के नाम की घोषणा की।
इस चुनाव में भाजपा ने अबकी बार 60 पार का नारा दिया है। जबकि कांग्रेस भी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही है। बहरहाल दावा किसका सत्य साबित होगा यह 10 मार्च को मतगणना के साथ पता चल जाएगा, किन्तु टिकट वितरण को लेकर दोनों दलों के बीच काफी रस्साकशी चली।
बात यदि हरिद्वार की करंें तो यहां भाजपा कांग्रेस पर भारी दिखायी दे रही है। कारण की कांग्रेस का टिकट वितरण और टिकट वितरण के बाद प्रत्याशी में परिवर्तन। इसके साथ ही टिकट न मिलने पर पार्टी नेताओं मंे बगावत। जिसके चलते कांग्रेसी नेता या तो पार्टी को अलविदा कह चुके हैं या फिर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। ज्वालापुर सीट से बरखा रानी को टिकट देने के बाद अगले ही दिन टिकट बदलने से ज्वालापुर सीट पर जहां कांग्रेस कमजोर हुई है। वहीं रानीपुर में पार्टी प्रत्याशी का विरोध भाजपा की राह आसान कर रहा है। हरिद्वार ग्रामीण सीट से पैराशूट प्रत्याशी हरीश रावत की पुत्री अनुपमा रावत को टिकट देने पर जहां कई नेताओं ने हाथ से अपना हाथ छुड़ा लिया है। वहीं जगपाल सैनी जैसे कद्दावर नेता ने भाजपा का दामन थामकर स्वामी की राह विरोधियों की लाख कोशिशों के बाद आसान कर दी है। वहीं हरिद्वार सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशी को टक्कर देने में सक्षम हैं तो कुछ सतपाल विराधी कांग्रेसी ही अपने प्रत्याशी की लुटिया डूबाने के काम में जुटे हुए हैं। ऐसा ही कुछ हाल जनपद की अन्य विधानसभाओं का भी है। कांग्रेस आलाकमान का अपने नेताओं को एकजुट न कर पाना और टिकट वितरण में प्रत्याशी से अधिक दबाव के चलते कार्य करना कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है।

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