शिवकृपानंद स्वामी की यूरोप यात्रा में अनेक लोग ध्यान से जुड़े
वर्तमान समय में समग्र विश्व शांति और सुरक्षा की खोज में है। पल-पल लोग असुरक्षा और भय का अनुभव कर रहे हैं। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में शांति, सुरक्षा एवं आध्यात्मिक प्रगति के लिए हिमालयीन सद्गुरु शिवकृपानंद स्वामी ने विश्व को हिमालयीन ध्यान-साधना का सरल मार्ग दिखाया है। वर्ष 2000 में स्वामीजी की यूरोप यात्रा के बाद हिमालयीन ध्यान विश्व में फैला है। आज विश्व के 72 से भी ज्यादा देश के लोग इसी पद्धति से ध्यान करके अपना सर्वांगीण विकास कर रहे हैं।

शिवकृपानंद स्वामी इस ध्यान-संस्कार को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पिछले 25 सालों से प्रयत्नशील हैं। विश्व के अनेक देशों ने उनको आमंत्रित किया है। हाल ही में स्वामीजी यूरोप की यात्रा पर है। यूरोप समर्पण आश्रम, जर्मनी में विभिन्न देशों से आए लोगों के लिए रिट्रीट का आयोजन किया जा रहा है।
जर्मनी में जर्मन भाषा में हुए इस रिट्रीट में साधकों ने उत्साह से भाग लिया। सत्र के दौरान प्रवचन, ध्यान और कर्मचक्र पर प्रश्नोत्तरी भी हुई। दूसरे दिन भी प्रवचन, ध्यान और गुरु मां के प्रवचन का लाभ साधकों ने लिया।
यूरोप समर्पण आश्रम में सामूहिक यज्ञ का भी आयोजन हुआ। इस तरह से त्रि-दिवसीय रिट्रीट का आयोजन यूरोप समर्पण आश्रम में हुआ जिसमें वाईब्रेटेड पानी, भूमि तत्त्व, वाईब्रेटेड स्टोन तथा मैदान में वाईब्रेशन के विभिन्न प्रयोग करके चौतन्य का प्रत्यक्ष अनुभव करवाया। स्वामीजी के सान्निध्य में सभी साधकों को बहुत अच्छी-अच्छी अनुभूतियॉं हुईं और अनेक प्रश्नों का समाधान भी मिला।
स्वामीजी ने बुर्जबर्ग शहर के चर्च सेन्ट केलियन्स की भी भेंट की। अभी स्वामीजी की यात्रा जारी है। 6जून से 8 जून अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट का आयोजन है, इसके अलावा योग दिवस सहित अनेक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया है।