गजब : एक वर्ष बीतने के बाद भी विकास कार्यों का श्रीगणेश नहीं कर पाए सांसद त्रिवेंद्र रावत

हरिद्वार। इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहा जाएगा कि जिन जनप्रतिनिधियों पर क्षेत्र के विकास का भरोसा कर आम जनता वोट देकर इन्हें अपना प्रतिनिधि बनकर विधानसभा और सांसद भेजती है, वह केवल कार्यक्रमों में फीता काटने और अन्य कार्यक्रमों में ही व्यस्त रहते हैं।

हालत को देखकर लगता है कि क्षेत्र के विकास का दावा करने वालों ने मानो विकास की ओर से मुंह ही मोड़ लिया है। यही कारण है कि 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने संसदीय क्षेत्र में एक भी विकास कार्य को आरंभ नहीं कर पाए। अपने संसदीय क्षेत्र में विकास की किसी भी एक योजना को उनके द्वारा शुरू नहीं कराया गया, जबकि प्रत्येक सांसद को प्रतिवर्ष 5 करोड़ की धनराशि विकास कार्यों के लिए दी जाती है।

ऐसा केवल हरिद्वार सांसद का हाल नहीं, अन्य सांसदों का भी ऐसा ही हाल है, किंतु प्रदेश के पांचो सांसदों में से अन्य चार सांसदों ने तो कार्यों का शुभारंभ किया है, किंतु हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत अभी तक 1 वर्ष जीतने पर भी विकास की योजनाओं का श्री गणेश तक नहीं कर पाए हैं।

हालांकि इस सबसे अधिक हरिद्वार सांसद बंद बाणगंगा सफाई अभियान में लगे हुए हैं। बंद हो चुकी बाणगंगा को पुनर्जीवित करने की बात कही है, किंतु होना यह चाहिए था कि बंद पड़ी बाण गंगा को खुलवाकर सफाई कराई जाती। सफाई के अलावा शेष संसदीय क्षेत्र में विकास को लेकर उनकी कोई रुचि दिखाई नहीं देती। इसका खुलासा RTI के माध्यम से हुआ है।


बता दें कि बाणगंगा का उद्गम लक्सर क्षेत्र के बिशनपुर कुंडी से होता है और यह पश्चिम वाहिनी होते हुए पंचलेश्वर महादेव से निकलकर शुक्रताल में गंगा में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई 62 किलोमीटर की है।

यह अच्छी बात है की सांसद ने बाणगंगा की सफाई की शुरुआत की है, किंतु इसके इतर भी संसदीय क्षेत्र में विकास के अनेक कार्य किए जाने हैं, जिनकी ओर अभी तक सांसद महोदय का ध्यान तक नहीं गया। यदि ऐसा नहीं होता तो एक वर्ष में किसी न किसी विकास कार्य की योजना का श्री गणेश इनके द्वारा कर दिया जाता।

वहीं पूर्व सांसद डॉ रमेश पोखरियाल के कार्यकाल का हाल भी ऐसा ही देखने को मिला, जो वर्ष 2024 तक अपनी सांसद निधि का 50% की खर्च कर पाए। जरा सोचिए कि जो निधि सांसदों को मिलती है यदि उसका सही प्रकार से सदुपयोग हो और विकास कार्यों में वह धनराशि लगाई जाए तो वास्तव में संसदीय क्षेत्र का अच्छी प्रकार से विकास देखने को मिल सकता है, किंतु विकास तब हो जब कार्यक्रमों में नेताओं को फीता काटने और अपनी राजनीति चमकने से राजनेताओं को फुर्सत मिले।

वैसे भी हरिद्वार का यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की स्थानीय नेता को सांसद बनाने का मौका किसी भी दल में नहीं दिया। हरिद्वार में बाहरी नेता को ही थोपा गया। एक वर्ष बीत चुका है, शेष 4 वर्ष शेष हैं। अब देखना यह होगा कि 4 वर्षों में हरिद्वार सांसद विकास के कौन से आयाम स्थापित करते हैं।

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