सनातन धर्म, कहते हैं कि विश्व का सबसे प्राचीन व सर्वोच्च धर्म सनातन था और है। यह शाश्वत सत्य है। परन्तु सनातन धर्म की महान विभूतियां जगदगुरु शंकराचार्य, स्वामी विवेकानन्द, रामकृष्ण परमहंस और गौतम बुद्ध की इस धरती पर अब चंद भगवाधारियों और तथाकथित विश्व गुरु से खुद को, खुद ही नवाजने वालों ने ही वर्तमान में सनातन धर्म को रसातल में पहुंचा दिया है। किसी विधर्मी ने नहीं स्वयं सनातनियों ने ही सनातन धर्म की धर्म ध्वजा झुकाने की शुरुआत की है।
राजनीति में राम नाम को आधार बनाकर नफरत की राजनीति से सत्ता के मद में चूर यह लोग क्या आने वाली पीढी को वेदों, उपनिषदों, पुराणों, गायत्री, यज्ञोपवीत, जप, तप, तर्पण आदि सैकड़ों लोप हो रही हमारे गौरवशाली सनातन धर्म के लिए भी कभी धर्मध्वज वाहक बने हैं जवाब है नहीं। वह स्वयं इस संदर्भ में राम मन्दिर के नारे लगाने के सिवा कुछ नहीं जानते। धर्म की राजनीति से अब जनता भी उकता चुकी हैं। शिखा, यज्ञोपवीत, गायत्री, गंगा और गाय माता का इन सतानशीनों को ना ज्ञान है ना इनकी जुबान पर कभी इसका जिक्र आता है। सनातन धर्म की जड़ों को यही राम नाम की राजनीति करने वाले खोखला कर रहे हैं।
हरिद्वार में लगभग अधिकांश अखाडे, आश्रम सम्पतियों के विवाद और धार्मिक, स्थलों को कब्जाने में उलझे हुये हैं। धर्म-कर्म को छोड़कर यह भगवाधारी राजनेताओं की चाटुकारिता और कोर्ट कचहरियों में लग्जरी करोड़ों की आलीशान गाडि़यों में चक्कर लगाते हैं। कई धार्मिक संस्थाओं ने अपनी सिद्धपीठ मन्दिरों को ठेके पर दे रखा है, जहां धर्म के पुजारी सिद्धपीठों की मर्यादाओं और पूजा पाठ के बजाय वसूली में लगे हैं, क्योंकि उन्हंे ठेके के पैसे पूरे करने हैं। कई जगह आरती के लिए इलेक्ट्रानिक इंस्टूमेंट लगाये हुए है क्योंकि इन भगवाधारियों के पास आरती का भी समय नहीं है। कई जगह मन्दिरों में घंटी बजाने वाले भी मासिक सेलरी पर रखे हैं।
इन कुछ कथित भगवाधारियों ने सनातन धर्म के अनुयाइयों से भी उनकी आस्थाओं से खिलवाड़ कर प्राचीन सिद्धपीठों को ठेके पर देकर और प्रापर्टी डीलरों के साथ खुलेआम जमीनों की खरीद फरोख्त का धंधा किया हुआ हैं।
सनातन धर्म की दुहाई देने वाले सत्ताधारी दल राम नाम लेकर कुंभकर्णी नींद में सोये हैं। इन्ही दलों के चंद छुटमैय्ये कथित नेता और जनप्रतिनिधि भी धार्मिक सम्पतियों के धन्धे में लगे हैं। ऐसी स्थिती में आनेवाली पीढी को सनातन धर्म से क्या रिश्ता रह जायेगा यह बहुत चिन्तनीय विषय हैं।
डॉ. रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार
हरीद्वार (उत्तराखंड)