श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी व टपकेश्वर महोदव मंदिर के श्री महंत कृष्णा गिरि महाराज ने कहाकि महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि संगम में स्नान करने से न केवल जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। कुंभ पर्व सनातन का सबसे बड़ा पर्व है, जो समूची दुनिया को अपने में समेटते हुए वसुधैव कुटुम्बकम् की सनातन की सोच को पुष्ट करता है। विवधिता में एकता का ऐसा संगम दुनिया में और कहीं देखने को नहीं मिलता। इस कारण से कुंभ पर्व में आकर सभी सनातनियों को स्नान, संतों के दर्शन और दान आदि कर्म अवश्य करने चाहिए।

श्रीमहंत कृष्णा गिरि महाराज ने कहाकि कुंभ का महत्व तो है ही साथ ही यहां आने पर कुछ खास चीजें यहां से घर लाने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है। कहा कि महाकुंभ मेला 13 जनवरी 2025, सोमवार को पौष पूर्णिमा के साथ शुरू होगा और 26 फरवरी 2025, बुधवार को महाशिवरात्रि के साथ समाप्त होगा।
प्रयागराज में आयोजित होने वाले इस मेले में देश-विदेश के संत-महात्मा, नागा साधु और साध्वियां भाग लेंगे। शाही स्नान का इस दौरान विशेष महत्व है, जिसे करने से आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
बताया कि महाकुंभ से लौटते समय घर के लिए ये चीजें जरूर लाएं:-
1:- पवित्र त्रिवेणी जल
संगम में स्नान के बाद वहां का पवित्र जल अपने साथ घर लाना शुभ माना जाता है। गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम का जल घर की पवित्रता बढ़ाता है और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है। यह जल परिवार के सुख-शांति और समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
2:- त्रिवेणी संगम की मिट्टी
पौराणिक मान्यता के अनुसार, प्रयागराज में अमृत की बूंदें गिरी थीं। इसलिए, त्रिवेणी संगम की मिट्टी को पूजा-पाठ में इस्तेमाल किया जाता है। कहा जाता है कि इस मिट्टी को घर में रखने से वास्तु दोष दूर होता है।
महाकुंभ क्षेत्र में स्थित पवित्र मंदिरों में चढ़ाए गए भोग और प्रसाद को घर लाना शुभ माना जाता है। महाकुंभ के दौरान मिलने वाले प्रसाद और खाद्य सामग्री को दिव्य मानते हुए अपने परिवार के साथ बांटें। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
महाकुंभ के दौरान मंदिरों या नदी के किनारे मिले पवित्र फूलों को घर लाना भी शुभ माना गया है। साधु-संतों से मिले फूलों को विशेष रूप से घर में रखना चाहिए यह घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
श्रीमहंत कृष्णा गिरि महाराज ने कहाकि देवता भी कुंभ पर्व पर संगम स्नान के लिए लिए आते हैं। इस कारण यहां आने वाले सभी में भगवान का स्वरूप देखते हुए शिष्टता से व्यवहार करना चाहिए। साधु-संतों के दर्शन करने से भी दुःखों का नाश हो जाता है।