जमीनों से जुड़े घपले में बीते चार साल में हो चुकी हैं चार मौतें

देहरादून। तीस साल पहले देश के हजारों करोड़ के बहुचर्चित शेयर बाजार घोटाले में हर्षद मेहता, स्टाम्प घोटाले के आरोपी अब्दुल करीम तेलगी, बिहार के सृजन घोटाले के अरुण कुमार, मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में हुई कई संदिग्ध मौतों के अलावा कई अन्य घोटालों में आरोपियों की हिरासत में मौत से कई राज मौके पर ही दफ्न हो गए।वहीं उत्तराखण्ड के करोड़ों रुपए के बहुचर्चित रजिस्ट्री घोटाले में कंवरपाल सिंह उर्फ केपी सिंह की संदिग्ध मौत से पहले भी तीन और ‘मौतें’ हो चुकी हैं। केपी सिंह की सहारनपुर जेल में तबीयत बिगड़ने और फिर एकाएक मौत की खबर आने से उत्तराखण्ड पुलिस प्रशासन के अलावा आम जन भी हैरत में है।


रजिस्ट्री घोटाले में कई सफेदपोश के नाम बाकी हैं। लेकिन केपी सिंह समेत चार लोगों की संदिग्ध मौत से घोटाले गिरोह पर शक गहराता जा रहा है। अगर एसआईटी बिना किसी दबाव के काम कर गयी तो कई बड़ी मछलियां भी जाल में फंसेगी। बहरहाल,रजिस्ट्री घोटाले की कहानी कई नये रहस्यों में उलझती जा रही है।


रजिस्ट्री व अन्य भूमि विवाद की जांच के दौरान में तीन लोगों की मौत हुई।इनमें दो बाइंडर थे। इस मामले की जांच कर रही स्पेशल टास्क फोर्स को जांच के दौरान पता चला कि मामले से जुड़े कुछ लोगों की तो मौत हो चुकी है। यह लोग कागजातों के हेरफेर में गहरे तक जुड़े हुए थे।


जानकारी के मुताबिक दून के सब रजिस्ट्रार कार्यालय में नवरत्न सिंह बतौर बाइंडर काम कर रहे थे। नवरत्न
2007 से 2017 तक बाइंडर रहे। 2019 में नवरत्न सिंह की सदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गयी थी। मौत का कारण अधिक शराब का अधिक पीना सेवन बनाया गया।


गौरतलब है कि राजपुर रोड में करोड़ों की जमीन बेचने के मामले में बाइंडर सोनू की भी अहम भूमिका रही। सोनू की 2021 में संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई। खास बात यह है कि सोनू रजिस्ट्री घोटाले में गिरफ्तार हुए बाइंडर अजय क्षेत्री का साला था। और अजय क्षेत्री भी सब रजिस्ट्रार कार्यालय में बाइंडर था। यह कनेक्शन काफी कुछ कहानी बयां कर रहा है।
क्लेमेनटाउन में रातों रात कोठी गिराने में रामभरोसे का नाम भी सामने आया था। जांच में इस रहस्य से भी पर्दा उठा कि कोठी गिराने के दस दिन बाद ही रामभरोसे की मौत हो गई थी।


नवरत्न, सोनू, रामभरोसे और अब केपी सिंह की संदिग्ध मौत से साफ जाहिर है कि रजिस्ट्री घोटाले में कई बड़े लोग भी शामिल हैं। पूर्व में दून पुलिस ने भी कहा था कि इनकी संदिग्ध मौत के पीछे किसी साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। और इन मौतों को भी पुलिस जांच में शामिल किया जाएगा।


अब केपी सिंह की मौत के बाद दून पुलिस सहारनपुर जानकारी एकत्रित करने गयी है। एसएसपी अजय सिंह व एसआईटी के लिए पर्दे के पीछे खड़े धंधेबाजों को बेनकाब करना भारी चुनौती मानी जा रही है। इस भूमि घोटाले में वकील कमल विरमानी समेत एक दर्जन से अधिक लोग जेल में बन्द हैं। हालांकि, केपी की मौत के बाद रजिस्ट्री घोटाले की भी सीबीआई जांच की मांग भी जोर पकड़ेगी।

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