हरिद्वार। सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली केन्द्र व प्रदेश सरकार भले ही अच्छा काम कर रही हो। साथ ही केन्द्र सरकार की नीतियों के कारण विश्व में भारत का मान बढ़ा हो, किन्तु कहीं न कहीं केन्द्र व प्रदेश की भाजपा सरकार अपनांे पर करम गैरों पर सितम वाली कहावत को चरितार्थ करने का भी काम कर ही है।
केन्द्र सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसा जा रहा है और कसना भी चाहिए। ईडी व सीबीआई गिन-गिन कर अपने शिंकजे में भ्रष्टाचारियों को ले रहे हैं। किन्तु जितनांे पर भी शिंकजा कसा जा रहा है वह सभी विपक्षी लोग हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है की क्या सत्ता पक्ष में कोई भी भ्रष्टाचारी नहीं है, सबके सब पाक साफ हैं।
बात यदि हरिद्वार की करें तो यहां भी कई ऐसे नेता व सत्ता दल से जुड़े ऐसे हैं जो कल तक साइकिल की सवारी करते थे, आज अरबांे की प्रापर्टी के मालिक हैं। सैकड़ों नामी-बेनामी सम्पत्ति उनके नाम पर हैं। कई सम्पत्तियां ट्रस्ट बनाकर एकत्रित की गई हैं। कई सरकारी योजनाओं का पैसा इनकी जेबों में जा चुका है। कई ठेके अपने चहेतों को दिलाकर एक के ग्यारह किए जा रहे हैं। ठेके की आड़ में अन्य गैरकानूनी काम किए जा रहे हैं। बावजूद इसके सत्ता से जुड़े व संरक्षित लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं होती।
मजेदार बात यह की सरकार उन लोगों पर भी मेहरबान है जिन्होंने सरकार के मुखिया को हराने के लिए तन-तन व धन से सहयोग किया। हारने के बाद भी मुखिया बनने पर उनकी मेहनत पर पानी फिर गया और मुखिया की जीत के लिए फिर से वह दिखावे के लिए तन-मन व धन से साथ खड़े हो गए। बावजूद इसके प्रदेश के मुखिया ऐसे लोगों को गले लगाने का काम कर रहे हैं, जबकि सत्यता से स्वंय मुखिया भी भली भांति परिचित हैं। अपनो पर सरकारों के करम से ही हरिद्वार में भ्रष्टाचार व अनैतिक कार्यों की बाढ़ आई हुई है। सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। नहीं तो यह जनता है चुनाव में अपना रंग दिखा भी सकती है।