हरिद्वार। सनातन धर्म का स्वंय का धर्मध्वजा वाहन बताने वाले कथित संन्यासी धर्म को छोड़ केवल धन की मृग तृष्णा के पीछे भागने में लगे हुए हैं। इनके कृत्यों के कारण सनातन धर्म को क्षति उठानी पड़ रही है।
बता दें कि इन दिनों छह संन्यासी अखाड़ों में से एक अखाड़े के साधु आचार्य महामण्डलेश्वर की खोज में जुटे हुए हैं। आचार्य महामण्डलेश्वर बनाने के लिए इनके द्वारा कई संतों का इंटरव्यू लिया जा चुका है। इंटरव्यू योग्यता का नहीं आचार्य बनने वाले के पास कितना धन है और वह कितना दे सकता है, इसकी थाह ली जा रही है। सूत्र बताते हैं कि आचार्य बनाने के लिए एक अखाड़ा विशेष के पदाधिकारियों द्वारा 4 करोड़ रुपये नगद, हरिद्वार में एक आचार्य पीठ का निर्माण समष्टि व व्यष्टि भण्डारा व पुकार आदि की रकम अलग, की मांग की जा रही है। इस कार्य में एक अन्य अखाड़े का साधु जो दूसरों की सम्पत्ति पर कब्जा करवाने, संतों के बीच वैमनस्य बढ़ाने और धन ऐंठने के लिए मशहूर है, वह भी शामिल है।
सूत्र बताते हैं कि अभी तक तीन-चार लोगों का आचार्य बनाने के लिए इंटरव्यू लिया जा चुका है। बताया जाता है कि इस इंटरव्यू में एक तांत्रिक कहे जाने वाला साधु पास भी हो चुका है। जिसने अखाड़े के पदाधिकारियों की शर्त को मान लिया है। बावजूद इसके उस साधु का आचार्य महामण्डलेश्वर बनना अभी तय नहीं हुआ है। उसके द्वारा अखाड़े के पदाधिकारियों की शर्त मानने के बाद पदाधिकारियों की लालच और बढ़ गई है। अब वे उससे अधिक रकम देने वाले की भी तलाश कर रहे हैं। बताते हैं कि जिस साधु ने आचार्य बनने के लिए पदाधिकारियों की शर्त को मान लिया है वह कनखल निवासी एक महामण्डलेश्वर के शिष्य हैं और ऋषिकेश में निवास करते हैं।
बता दें कि इससे पूर्व भी आचार्य बनाने के लिए 2 और 5 करोड़ रुपये संत विशेष से एक अखाड़े के पदाधिकारियों द्वारा लिए जाने की चर्चा काफी सुर्खियों में रही थी।
बहरहाल पद और धन के पीछे भाग रहा भगवा सनातन संस्कृति का गर्त में ले जाने का कार्य करने में जुटा हुआ है।