हरिद्वार। संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरि निष्कासन के बाद मंदिर और मठ से बाहर हो गए हैं। महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि को बड़े हनुमान मंदिर की व्यवस्था से हटाने के बाद अमर गिरि को वहां की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस बीच महंत की संदिग्ध मौत के बाद निरंजनी अखाड़े के बाघम्बरी गद्दी मठ और बड़े हनुमान मंदिर के महंत बने बलवीर गिरि से अमर गिरि के बीच खटास पैदा हो गई।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की बाघम्बरी गद्दी मठ में संदिग्ध मौत की पुलिस को सूचना देने वाले बड़े हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक स्वामी अमर गिरि को मठ से निष्कासित करने के साथ मंदिर और मठ की सभी जिम्मेदारियां छीन ली गई हैं। निष्कासन की यह कार्रवाई नए महंत बलवीर गिरि ने की है। इसी के साथ महंत की मौत पर मठ के भीतर की खींचतान बाहर आ गई है।
बताते हैं कि महंत की मौत के मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद नैनी सेंट्रल जेल में बंद आनंद गिरि से अमर गिरि की नजदीकियों की वजह से बलवीर गिरि ने उनसे दूरी बना ली और मठ से हटा दिया है। बताते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में अमर गिरि ने हाल में ही पांच पेज का हलफनामा पेश करते हुए कहा है कि आनंद गिरि के खिलाफ उन्होंने लिखित तहरीर नहीं दी थी।
अलबत्ता उन्होंने पवन महाराज के साथ जार्जटाउन थाने में जाकर सिर्फ महंत की मौत होने की मौखिक सूचना दी थी। अमर गिरि के इस हलफनामे के बाद केस कमजोर होने की बात कही जाने लगी है। साथ ही बलवीर गिरि के विरोधी आनंद गिरि पर लगे आरोपों की हवा निकलने के भी कयास लगाए जाने लगे हैं।
मठ से निष्कासन के बाद अमर गिरि और पवन महाराज को सुरक्षा का खतरा सताने लगा है। कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के बाद अमर गिरि पर दबाव पड़ने और धमकियां मिलने की भी बात सामने आयी है। इसके बाद अमर गिरि ने अपना मोबाइल बंद कर लिया है। बाघंबरी मठ में अंदरूनी खींचतान तेज होने के बाद महंत बलवीर गिरि हरिद्वार चले गए हैं। मठ के भीतर इस घटनाक्रम को लेकर कोई कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।
स्वामी अमर गिरि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के भरोसेमंदों में गिने जाते रहे हैं। अमर गिरि की निष्ठा और समर्पण की वजह से ही उनको आनंद गिरि की जगह हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक की जिम्मेदारी दी गई थी। महंत नरेंद्र गिरि की मौत के दिन भी सबसे पहले बड़े हनुमान मंदिर से स्वामी अमर गिरि को ही बुलाया गया था। अमर गिरि ही सबसे पहले मठ के उस आगंतुक कक्ष में घुसे थे, जिसमें महंत नरेंद्र गिरि का फंदे से लटकता हुआ शव देखा गया था।
अमर गिरि का निष्कासन और उनको जान का खतरा होना तथा अपना मोबाइल बंद करना यह बताता है कि मठ और अखाड़े में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
बड़ा सवाल यह कि अमर पुरी ऊर्फ अमर गिरि के द्वारा कोर्ट में हलफनामा देने से कुछ संतों में बौखलाहट क्यों है। अखाड़े के कुछ संतों को कहना है कि जब अमर गिरि नरेन्द्र गिरि की मौत के समय घटनास्थल पर ही नहीं थे और यही बात उन्होंने अपने हलफनामे में कहीं हैं तो कुछ संतों को बैचेनी क्यों। उनका कहना था कि नरेन्द्र गिरि की हत्या बहुत बड़े षडयंत्र का हिस्सा है। यदि आनन्द गिरि जेल से बाहर आ जाते हैं तो कुछ संतों को स्वंय के बेपर्दा होने का डर सता रहा है। यही कारण है कि अमर पुरी पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। कुछ लोग नहीं चाहते की सच्चाई सामने आए और षडयंत्र तथा मठ व अखाड़े को गर्त में पहुंचाने वालों के असली चेहरे सामने आ सकें।