स्वामी ललितानंद: आखिर कैसे एक ही घंटे में फुस्स हो गया रोष का गुब्बारा, जानिए वजह

दाल में कुछ काला होने की आशंका, अन्य आरोपों पर क्यों नहीं की चर्चा
हरिद्वार।
बीते रोज भारत माता मंदिर के महंत स्वामी ललितानंद गिरि महाराज ने एकाएक पत्रकार वार्ता कर अपने अपमान व भारत माता मंदिर में गडगड़ झाला होने का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी। इतना ही नहीं उन्होंने आश्रम और आश्रम की सम्पत्ति को बचाने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ने का भी ऐलान किया, किन्तु पत्रकार वार्ता के मात्र एक घंटे में ही उनके रोष के गुब्बारे की हवा निकल गयी।


बता दें कि बीते रोज स्वामी ललितानंद गिरि महाराज ने प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि गुरुवार को उनके गुरु स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज की पुण्यतिथि पर भरे मंच से उन्हें समालखा, हरियाणा का महामण्डलेश्वर कहकर सम्बोधित कर उनका अपमान किया गया। इसके साथ ही उन्होंने कुछ तत्वों द्वारा जूना पीठाधीश्वर को गुमराह करने, अपने मकसद के लिए भारत माता मंदिर की भूमि को क्रय-विक्रय कर होटल व्यवसाय में बदलने का आरोप लगाया।

इतना ही नहींे उन्हांेने इस साजिश में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और मंदिर की पवित्रता को गिरवी रखने की योजना का भी आरोप लगाया। उन्होंने आज तक भारत माता मंदिर ट्रस्ट में जितना खर्च हुआ, वह सब सार्वजनिक करने के साथ ट्रस्ट की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाते हुए जांच की मांग तथा मंहत होने के नाते प्रत्येक गतिविधि की जानकारी दिए जाने की बात कही थी।


इन आरोपों के मात्र एक घंटे बाद उन्होंने बयान दिया की इस संबंध में उन्हें कोई गिला शिकवा नहीं है। जो मतभेद थे वह दूर हो गए हैं। कभी-कभी ऐसा हो जाता है। उन्होंने अब किसी भी प्रकार की नाराजगी न होने की भी बात कही।


मजेदार बात यह कि स्वामी ललितानंद गिरि द्वारा आरोप लगाने के तत्काल बाद उन्हें तलब कर लिया गया। इससे भी मजेदार बाद यह की जो स्वंय विवादित हैं और खुद फर्जी शंकराचार्य हैं उन्होंने विवाद का पटाक्षेप किया।


हालांकि मामला किसी वाद विवाद व वार्ता के बाद थम जाने व मनाने का नहीं, इसके पीछे बड़ा राज छुपा हो सकता है। स्वामी ललितानंद गिरि को समालखा हरियाणा का महामंडलेश्वर कहे जाने पर उनकी नाराजगी हो सकती है, साथ ही नाराजगी दूर होने की बात भी मान ली जाए तो अन्य जो आरोप लगाए वह बड़े गंभीर हैं, जिस पर जांच की जानी चाहिए।


कहीं ऐसा तो नहीं कि मामले को तूल पकड़ता देख स्वामी ललितानंद की कोई ऐसी नस दबा दी गयी हो, जिससे उन्होंने अपने बढ़ाए कदम चंद घंटे में पीछे खींच लिए।


आपको बता दें कि कुछ समय पूर्व उत्तरी हरिद्वार स्थित नारायण आश्रम में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में स्वामी ललितानंद गिरि समेत करीब डेढ़ दर्जन भर लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। फिलहाल मुकदमें में क्या हुआ इसकी जानकारी नहीं है। जिसके बाद भारत माता मंदिर की ओर से स्वामी ललितानंद गिरि का भारत माता मंदिर से कोई वास्ता नहीं है, संबंधी विज्ञप्ति भी जारी की गई थी। हो सकता है कि ज्यादा चिल्लाने पर मुकदमा पुनः खोलने की बात कहकर स्वामी ललितानंद गिरि पर दबाव बनाया गया हो। साथ ही और कोई नस ऐसी दबायी हो, जिससे ललितानंद गिरि पीछे हट गए।

वहीं जूना पीठाधीश्वर के 25 वें आचार्य पदाभिषेक कार्यक्रम के दौरान जूना पीठाधीश्वर का विरोध करने वाले अचानक उनके पक्ष में आ खड़े हुए।


वहीं जो आरोप स्वामी ललितानंद गिर ने लगाए उनमें से केवल हरियाणा का महामण्डलेश्वर बताए जाने पर हुई नाराजगी पर चर्चा हुई। समझौते में भी उसी का फर्जी शंकराचार्य की ओर से जिक्र किया गया, किन्तु भारत माता मंदिर की सम्पत्ति को खुर्दबुर्द करने, सम्पत्ति का व्यवसायिक उपयोग करने की रणनीति, आश्रम में लेखा-जोखा में गडबड़ी के आरोप पर कुछ नहीं कहा गया, जिससे स्वामी ललितानंद गिरि के आरोपों और उन पर बनाए गए दबाव की चर्चाओं को बल मिलता है।

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