आरोप मरने के बाद कब्जाई जमीन पर बनवाएंगे अपनी समाधिः सुरेश
पीड़ित दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर, नहीं मिल रहा इंसाफ
आरोपः भाजपा नेताओं के इशारे पर पायलट बाबा ने कब्जाई जमीन
हरिद्वार। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर स्वमी सोमनाथ गिरि ऊर्फ पायलट बाबा पर जगजीतपुर निवासी एक व्यक्ति ने अपनी पट्टे की भूमि पर कब्जा करने का आरोप लगाया है।
सुरेश कुमार पुत्र स्व. चोहोल सिंह निवासी ग्राम जगजीतपुर, कनखल ने बताया कि पूर्व में ग्राम समाज की भूमि पर उसको 0.205 हैक्टेयर क्षेत्रफल का एक पट्टा वर्ष 1993-94 में ग्राम सभा द्वारा आबंटित हुआ था।
सुरेश ने बताया कि सोमनाथ गिरि ऊर्फ पायलट बाबा ने 6 मई 2015 की रात को असमाजितक तत्वों को बुलाकर जबरन उनकी भूमि पर कब्जा किया और बाग में जेसीबी चला दी और सभी पेड़ों को नेस्तनाबूत कर दिया। जिसके संबंध में उन्होंने स्थानीय पुलिस और जिलाधिकारी को मामले की शिकायत की, किन्तु उसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।
सुरेश ने बताया कि उसने पयलट बाबा के खिलाफ तहसील में वाद दायर किया, जहां से न्यायालय राजस्व परिषद देहरादून ने 30 जून 2023 को उसके पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद सिविल कोर्ट तृतीय अपर न्यायाधीश ने भी 20 मार्च 2021 को उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए कब्जाधारी को बेदलख करने के आदेश परित किए। बावजूद इसके न्यायालय के आदेशों को भी तहसील अधिकारियों ने ठेंगे पर रखते हुए उसको आज तक कब्जा नहीं दिलवाया।
सुरेश ने बताया कि उनकी जमीन पर कब्जा करवाने में प्रदेश के एक भाजपा के बड़े नेता का हाथ रहा। उसी के इशारे पर उसकी जमीन पर कब्जा करवाया गया। इस संबंध में उन्होंने पायलट बाबा के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया और तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के पास जाकर न्याय की गुहार लगाई। बताया कि उनके हसतक्षेप के बाद उसे दोबारा कब्जा मिला। सुरेश ने बताया कि दो वर्ष जमीन पर काबिज होने के बाद से पायलट बाबा ने फिर से एक दूसरे भाजपा नेता के इशारे पर पुनः कब्जा कर लिया।
बताया कि जमीन वापस पाने के लिए उसने कनखल पुलिस, सीओ, डीएम, अनुसूचित जाति आयोग, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति तक को पत्र भेज किन्तु हर ओर से उसे निराशा हाथ लगी। उसने बताया कि वह गरीब व्यक्ति है और भ्रष्ट तंत्र के कारण से उसे अब अपना पेट पालने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
बता दें कि पायलट बाबा का जमीनों पर कब्जा करने का इतिहास कोई नया नहीं है। उत्तरकाशी में भी सरकारी जमीन पर आश्रम की आड़ लेकर पूर्व में कब्जा किया था, जिसे प्रशासन ने बामुश्किल हटवाया था।