मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़,विधि-विधान से भक्तों ने की महादेव की पूजा-अर्चना, भंडारे का आयोजन
विनोद धीमान
हरिद्वार। महाशिवरात्रि का पर्व शुक्रवार को जनपद के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। मंदिरों व शिवालयों को फूलों व सुंदर लाईटों से सजाया गया। मंदिरों व शिवालयों में दिन भर बम-बम भोले, ओम नम: शिवाय, हर-हर महादेव के जयघोष सुनाई दे रहा था।
मंदिरों में देर रात 12:30 बजे से ही भगवान शिव की पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। मंदिर व शिवालयों में भगवान भोले नाथ का जलाभिषेक करने के लिए हरिद्वार से जल लेकर आये शिव भक्त कांवड़ियों व श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी,सभी अपनी बारी का इंतज़ार करते नजर आए।
महाशिवरात्रि के अवसर पर समाजसेवियों व धार्मिक संस्थाओं द्वारा शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर विशाल भंडारों का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। शास्त्रों में भी उल्लेख है कि अन्नदान सबसे बड़ा दान है। समय-समय पर अन्नदान के रूप में भंडारों का आयोजन करते रहना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं ने यह आयोजन किया है।
फेरुपुर, शाहपुर, धारीवाला, बादशाहपुर, सुल्तानपुर, पंचेवली, लक्सर नगर, खानपुर, मुंडाखेडा़, रायसी, भिक्कमपुर, भोगपुर आदि गाँव के मंदिरों को महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष रूप से सजाया गया था। वहीं श्रदालुओं ने मंदिरों पर महाशिवरात्रि के मौके पर भंडारे का भी आयोजन किया गया। वहीं ग्राम धारीवाला शिव मंदिर पर महा शिवरात्रि के उपलक्ष में पिछले पांच दिनों से शिव महापुराण का पाठ कराया जा रहा था जिसका आज समापन हो गया है। विधि विधान से यज्ञ हवन कराकर भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें सभी ग्राम वासियों ने सहयोग कर प्रसाद ग्रहण किया।
वहीं ऐसा ही कुछ नजारा सुल्तानपुर के पंचेश्वर महादेव मंदिर पर भी देखने को मिला, वहाँ भी श्रदालुओं का भगवान् शिव का जलाभिषेक करने का तांता लगा रहा। मंदिर में श्रद्धालुओं ने शिव भोले भंडारी के जयकारे लगाए ऐसा लग रहा था कि मानों भगवान् शिव स्वयं पृथ्वी पर उतर कर यह नजारा देख रहे हो। महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में श्रद्धालुओं ने मनोकामना पूर्ति के लिए उपवास रखा। श्री-पंचेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी आचार्य नरेश ने कहा कि महाशिवरात्रि के दिन जो शिव भक्त रूद्राभिषेक कर भगवान शिव की अराधना करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। उन्होंने बताया कि पंचेश्वर महादेव का मंदिर एक पौराणिक मंदिर है जो पांडवों के कार्य काल से जुडा़ है। मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि इस मंदिर में आकर पांडवों को अपने पापों से मुक्ति मिली थी और अज्ञातवास के दौरान खुद पांडवों ने भी यहां साधना की थी यहां बाणगंगा के नाम से प्रसिद्ध गंगा नदी है। खास बात है कि नदी मंदिर के बराबर से उल्टी दिशा यानी पश्चिम दिशा में बहती है इस लिए इसे पश्चिम वाहिनी कहा जाता है। जो भी श्रदालु सच्चे मन अपनी मनोकामना लेकर आता है उसकी मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होती है। महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में श्रदालुओं ने भंडारे का भी आयोजन किया है।