हरिद्वार। सनातन संस्कृति के उन्नयन को लेकर संतों की एक बैठक उत्तरी हरिद्वार स्थित झालावाड़ गुजराज आश्रम में संघ सह कार्यवाह भईया जोशी के साथ सम्पन्न हुई।
बैठक में भईया जोशी ने कहाकि सनातन संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है। ज्ञान का अपार भण्डार होने के कारण सनातन संस्कृति को विश्व ने स्वीकारा। इसके विस्तार के कारण इसमें कुछ दोष भी उत्पन्न कर दिए गए, उनका कैसे निवारण किया जाए, इस पर भी संतों ने अपने मत प्रकट किए। भईया जोशी ने संतों ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के संबंध में भी मंथन किया। संतांें ने कहाकि जाति-भाषा आदि की कुरीतियां समाज में विखंण्डन का कार्य कर रही हैं। कुछ ऐसे तत्व भी हैं, जो सनातन को बदनाम करने का कार्य कर रहे हैं। जबकि सनातन धर्म सर्वे भवंतु सुखिन व वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा को आत्मसात करने वाला है।
संतों ने कहाकि विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति सनातन है। यह विशाल है, इसे वट वृक्ष की भांति किस प्रकार से और विशाल बनाकर समाज में समरसता का भाव उत्पन्न हो इस पर सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना है।
बैठक मंें महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि, म.म. स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश, म.म. स्वामी ललितानंद गिरि, बाबा बलराम दास हठयोगी, स्वमी ऋषिश्वरानदं, महंत विष्णुदास समेत कई संत मौजूद रहे।