हरिद्वार भाजपा और संगठन में सब कुछ ठीक नहीं!
हरिद्वार। उत्तराखंड चुनाव में सभी कयासों को दरकिनार कर भाजपा ने बम्पर जीत हासिंल की। राज्य में भाजपा की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार भी बन गयी है। बावजूद इसके सरकार और संगठन के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यह सवाल इसलिए की हरिद्वार में विगत तीन दिनों से लगातार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का दौरा रहा। जिसमें भाजपा के तमाम नेता शामिल हुए, किन्तु भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने सभी कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी। इतना ही नहीं धामी शपथ ग्रहण के बाद शाम को गंगा पूजन के लिए हरिद्वार हरकी पैड़ी पहुंचे, जहां भी मदन कौशिक और उनके खेमे के नेताओं के साथ संतांे ने भी दूरी बनाए रखी। यह हाल तब है जब सीएम मदन कौशिक की विधानसभा में आए थे।
अपने तीन दिनों के दौरे में सीएम धामी काफी देर तक या यूं कहें की पूरा दिन ही हरिद्वार में रहे, किन्तु मदन कौशिक व उनके समर्थकों में से कोई भी सीएम के कार्यक्रम में नहीं दिखायी दिया।
हालांकि मदन कौशिक की पीड़ा को भी समझा जा सकता है। मदन कौशिक लगातार पांचवी बार विधायक बने हैं। उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें हाईकमान सीएम भले ना बनाए किन्तु कोई बड़ा मंत्रालय अवश्य मिलेगा, किन्तु हुआ इसके विपरीत। चुनाव में हार का सामना करने के बाद भी पुष्कर सिंह धामी को सीएम की कुर्सी मिल गयी। और जो कुर्सी मदन कौशिक के पास हुआ करती थी वह भी चली गयी। राजनैतिक गलियारों में चर्चा तो यहां तक है की प्रदेश अध्यक्ष का पद भी मदन कौशिक के पास अधिक समय तक नहीं रहने वाला है।
सीएम के प्रत्येक कार्यक्रम में हरिद्वार ग्रामीण सीट से स्वामी यतीश्वरानंद व लक्सर से चुनाव हारने वाले संजय गुप्ता सीएम के साथ मंच पर शिरकत करते देखे जाते हैं। और उनकी विधायक की भांति राजनीति चल भी रही है। हारने बाद भी तीनों मित्र सिंकदर बने हुए हैं जबकि जीतकर भी मदन कौशिक का हाल किसी हारे हुए नेता की भांति हो गया है। जीतने वाले को कोई सम्मान नहीं दिया जा रहा है। यह मदन कौशिक की एक पीड़ा हो सकती है। वहीं कहीं न कहीं चुनाव के बाद संजय गुप्ता द्वारा मदन कौशिक के ऊपर चुनाव में नुकसान पहुंचाने संबंधी आरोप लगाने और कई अन्य नेताओं के द्वारा भी मदन कौशिक को अप्रत्यक्ष रूप से कटघरे में खड़ा करने के कारण भी हो सकता है की उन्हें बड़ी जिम्मेदारी से दूर रखा गया हो। वहीं चुनाव में जिन सीटों पर भाजपा नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है उनकी रिपोर्ट भी आ चुकी है। जिसमें कई नेताओं पर गाज गिरना लगभग तय है। हालांकि अकेले सीएम द्वारा मदन कौशिक को मंत्री पद से दूर रखना संभव नहीं है। ऐसे में यह तय है कि संगठन और शीर्ष नेतृत्व नहीं चाहता की मदन कौशिक को बड़ी जिम्मदारी दी जाए। अब समय ही बताएगा की भाजपा की राजनीति क्या गुल खिलाती है।

भाजपाः कोई जीत के भी हारा, कुछ हार के भी बने सिंकदर!


