दल बदलने का दौर हुआ शुरू
हरिद्वार। चुनाव आते ही दल बदलने का सिलसिला शुरू हो जाता है। और यह चरम पर तब पहुंचता है जब किसी की चुनाव से पूर्व या तो मांगे पूरी न हों या फिर उसको टिकट न मिले। इसके साथ उसे चाहने वालों को भी टिकट न मिलने पर पाला बदल लिया जाता है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए हरक सिंह की पार्टी से छुट्टी कर दी गयी। अब उनका कहना है कि वे कांग्रेस के लिए काम करेंगे। यानि की फिर से घर वापसी। उधर हरक सिंह की राह के साथी हरिद्वार के संजय चोपड़ा ने भी हरक की बर्खास्तगी होते ही अपने कार्यालय से भाजपा के झंडे-बैनर हटा दिए। अब हरक कांग्रेस के हो जाएंगे। जिसके साथ संजय चोपड़ा भी कांग्रेस का फिर से दामन थाम लेंगे। यानि की उनकी भी फिर से घर वापसी। यशपाल आर्य पहले से ही भाजपा को अलविदा कह कांग्रेस का फिर से दामन थाम चुके हैं। अब सरिता आर्य भाजपा के पाले में आने वाली हैं। उन्होंने कहा था कि यदि कांग्रेस उन्हें टिकट नहीं देती है तो वे भाजपा में भी जा सकती है। यह कहना नहीं था, वास्तव में भाजपा में जाने का इरादा पक्का हो गया था। अब वे भी भाजपा की हो गयीं।
वास्तव में देखा जाए तो देश सेवा का ढोल पीटते रहने वाले दल बदलने वाले नेताओं को ना तो किसी पार्टी और न ही देश व समाज की चिंता होती है। जिस वजहों से ये दल बदलते हैं वह स्पष्ट होता है कि इन्हें किसी से सरोकार नहीं, बस इन्हें सत्ता की मलाई मिलती रहनी चाहिए। जिसे ये देश सेवा का नाम देते हैं। हरक सिंह रावत व सरिता आर्य का आना-जाना तो शुरूआत है। उम्मीद्वारों के नामों का फैसला होने दो फिर देखना कितने देश भक्त पाला बदलते हैं। असली पिक्चर को तभी साफ होगी।