अश्विनी सैनी
विश्व स्तर पर नेताओं की लोकप्रियता की रेटिंग तय करने वाली संस्था के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रेटिंग सबसे अधिक 71 बताई जा रही है जबकि लगभग 25 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकप्रियता में प्रधानमंत्री को टक्कर देते हुए नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता की रेटिंग 65 के समक्ष आकर खड़े हो गये है। अर्थात उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की लोकप्रियता की रेटिंग 65-65 हो गई है। यदि योगी आदित्यनाथ विधानसभा चुनाव जीतकर दोबारा मुख्यमंत्री बन जाते है तो वे यू.पी. में लोकप्रियता में प्रधानमंत्री को पछाड़ कर उनसे आगे निकल जायेगे। जिससे योगी आदित्यनाथ का सितारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चमकने लगेगा।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव भाजपा के पिछड़े वर्ग के नेताओं को दल-बदल कराकर अपने पाले में भले ही सम्मिलित कर लें लेकिन उन्हें इसका कोई लाभ मिलने वाला नहीं है। दल बदल कर समाजवादी पार्टी में शामिल होकर टिकट हासिल कर लेने से समाजवादी पार्टी के उन कार्यकर्ताओं में आन्तरिक विद्रोह के फूट पडऩे की संभावना बनती दिखाई दे रही है जो पिछले 5 वर्षो से चुनाव लडऩे के लिए अपनी जमीन तैयार कर रहे थे। दलबदल कर चुनाव लडऩे वाले लगभग सभी नेताओं को पार्टी कार्यकर्ताओं के इस आन्तरिक विद्रोह का सामना करना पड़ सकता है जो दलबदलूओं को हार के मुहावने तक ले जाने के लिए काफी है। जिस कारण जमीनी स्तर पर भाजपा को इसका बड़ा लाभ मिलने संभावना बलवती होती दीख रही है। जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि 2022 के विधानसभा चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ को दोबारा प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता।
राजनीतिक विशलेषक उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को अभी तक एक तरफ ा ही मानकर ही चले रहे थे। कहा जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मिलकर चुनावों में अपने विरोधियों को धूल चटा देंगे और भाजपा को रिकार्ड जीत दिलवाने में सफ ल हो जायेंगे। चुनावी आंकड़ों का गुणा भाग करने वाले भी भाजपा को 250 से 275 तक सीटें देने की बात कर रहे थे। लेकिन भाजपा छोडक़र समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं के कारण पार्टी में मची भगदड़ से अब यह अवधारणा कहीं न कहीं खंडित होती दिखाई दे रही है। जनता भी इस अवधारणा के पक्ष में अपना विचार प्रकट करती दिखाई दे रही है और इस दलबदल को भाजपा के लिए खतरा बता रही है। जब हमने इस सच्चाई का पता लगाने के लिए अपने कुछ तर्क जनता के सामने रखकर उनके विचार जानने का प्रयास किया तो वे अपनी पूर्व अवधारणा को नकारते हुए दिखाई दिये। इतना ही नहीं वे हमारे तर्कों से कहीं आगे बढक़र अपने तर्को से यह साबित करने का प्रयास करने लगे कि दलबदल करने वालों का जमीनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं है वे केवल अपने निजी स्वार्थो की पूर्ति के लिए पार्टी बदल रहे हैं। एक व्यक्ति ने तो आक्रोशित होकर गाली …..देते हुए हमसे प्रतिप्रश्न करते हुए पूछा कि आप ही बताये कि एक व्यक्ति जो पूरे 5 वर्ष केबिनेट मंत्री के पद पर रहकर मलाई चाटता रहा वह अब यह कह रहा है कि भाजपा ने उसका सम्मान नहीं किया इससे बड़ा झूठ और कोई हो सकता है क्या? हमने भी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वे नेताजी भी आपके पिछड़े वर्ग से आते है। उसने फिर गाली ….देते हुए कहा कि ऐसे नेता पिछड़ों के नाम पर कलंक हैं। ये नेता समाज के नाम पर अपनी रोटियाँ सेकते है और जनता को धोखा देते है। हमने फिर एक और प्रश्न दागते हुए पूछा कि नेताजी तो कह रहे है कि पूरा पिछड़ा समाज उनके साथ है। वह बोला- चुनाव में सब पता चल जायेगा कौन किसके साथ है?
कौन किसके साथ है? आज मूल प्रश्न यही है। इसी मूल प्रश्न के उत्तर में छिपा है उत्तर प्रदेश और भारत के 140 करोड़ लोगों का भविष्य। सनातन संस्कृति का भविष्य। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भविष्य और विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी का भविष्य।
कौन किसके साथ है? इस प्रश्न को लेकर अब हमने जनता से खुलकर रू-ब-रू होने का निश्चय किया और जा पहुंचे ज्वालापुर स्थित शंकर आश्रम के तिराहे पर जहां कुछ लोग जो पथरी से आये थे, उनसे सामना हुआ। हमने उनसे विधानसभा चुनाव पर चर्चा करने के बारे में पूछा तो उसमें से व्यक्ति जिसने अपना नाम बलवन्त सिंह पंवार बताया, ने कहा पूछिये क्या पूछना है-हमने विधानसभा चुनावों के बारे में जानना चाह तो उसने कहा कि उत्तराखंड में भाजपा व कांग्रेस में कांटे की टक्कर है। सरकार किसकी बनेगी? इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। हमने पूछा आप किसके साथ है? उसने अपने को भाजपा का कार्यकर्ता बताया। हमें लगा इससे चर्चा करना लाभदायक हो सकता है। हमने उनसे यू.पी. के बारे में जानना चाह तो उन्होंने बड़े आत्मविश्वास से योगीजी की जीत का दावा किया। हमने कहा कि योगी के मंत्री ही उनका साथ छोडक़र भाग रहे तो भाजपा कैसे जीतेगी? उसने सारे समीकरण गिनाते हुए कहा कि भाजपा के किसी मंत्री या विधायक के जाने से कुछ नहीं होता। भाजपा के पास संगठन है कार्यकर्ता है भाजपा जिसको भी प्रत्याशी बनायेगी सभी लोग उसके लिए काम करेंगे। मोदी और योगी ने जितने विकास कार्य किये है जनता उसको देख रही है। मोदी जी ने जनता के कल्याण के लिए जो कार्य किये है उसके कारण जनता भाजपा के साथ है। योगी जी तो उत्तर प्रदेश में भेदभाव, जात-पात, अगड़ा-पिछड़ा की राजनीति से ऊपर उठकर काम कर रहे हैं गरीबों को नि:शुल्क राशन से लेकर किसानों को सम्मान निधि के तौर पर नकद धनराशि दे रहे है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 40 लाख मकान गरीबों को बनवाकर दिये गये है। जनता अपना कर्ज वोट देकर उतारेगी। केन्द्र सरकार की मदद से बड़े-बड़े प्रोजेक्टों पर काम चल रहा है। राजनीतिक स्थिरता और कानून व्यवस्था में सुधार होने से प्रदेश में निवेश आ रहा है जिससे युवाओं को रोजगार मिल रहा है। योगीजी के जीतने से प्रदेश में और अधिक निवेश होगा जिससे रोजगार की संभावना काफी बढ़ जायेगी।
हमने जानना चाह कि अखिलेश के सरकार बनाने के दावे में आप कितना दम देखते है। बलवन्त ने कहा कि उनके पास 403 सीटों पर चुनाव लडऩे के लिए आदमी भी नहीं थे इसलिए अखिलेश 1 पे 4 का खेल खेल रहे है। हमने उन्हें 1 पे 4 कोड शब्द को डीकोड करने के लिए कहा तो उन्होंने बताया कि यदि भाजपा का एक विधायक समाजवादी पार्टी में आयेगा तो उसे 1 के साथ 4 टिकट और दिये जायेंगे जिससे उसके परिवार के सदस्य भी चुनाव लड़ सके। अखिलेश को पता नहीं है कि वे अपने ही खेल में फंसते जा रहे है अगले महीने उन्हें पसीने आने शुरू हो जायेगे। एक अन्य व्यक्ति जो आलोक तिवारी जो कानपुर देहात के है, उन्होंने बताया कि अखिलेश मौसमी गठबंधन तैयार कर रहे हैं जो अधिक टिकाऊ नहीं है। 2017 में यू.पी. के दो लडक़ों के गठबंधन का यू.पी. की जनता ने क्या हाल किया था क्या उसे भूल गये। इसी प्रकार 2019 के लोकसभा चुनाव में बुआ भतीजे का गठबंधन भी काम नहीं आया। अखिलेश हताश और निराश है उनके पार्टी में चुनाव लडऩे योग्य नेता नही है इसलिए वे मजबूरी में गठबंधन कर रहे हैं। यू.पी. की जनता ऐसे लोगों से तंग आ चुकी है इसलिए यू.पी. की जनता एक बार फिर इन्हें सबक सिखाने जा रही है।
जहाँ तक बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस की बात है, ऐसा प्रतीत होता है कि ये अपने वजूद को बचाने का प्रयास कर रही है। न कोई रैली, न कोई प्रत्याशी और न ही कोई प्रचार। संभव है कि ये दोनों पार्टिया विधान सभा की सभी सीटों के लिए अपने प्रत्याशी भी न जुटा पाये। चुनाव में सीटें जीतने की बात तो दूर रही।
यद्यपि यू.पी. में चुनाव का पूरा परिदृश्य तो 31 जनवरी के बाद ही सामने आयेगा जब सभी पार्टियाँ अपने-अपने उम्मीदवारों की अन्तिम घोषणा कर देगी लेकिन प्रदेश में भाजपा ने दिसम्बर माह में अपने केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर प्रधानमंत्री तक की जो रैलियाँ की उससे माहौल भाजपा के पक्ष में हो गया है जो अगले विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत का संकेत दे रहा है। लगभग 25 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में दोबारा चुनाव में जीत कर योगी आदित्यनाथ अन्तर्राष्ट्रीय नेताओं में गिने जाने लगेगे और तब इन्हें दुनिया के मानचित्र की सुर्खियों बनने से कोई नहीं रोक सकेगा।

योगी 2022 में जीत के बाद विश्वपटल पर चमकेगे!


