जो रोज प्रातःकाल अमृत वेला में दिलखुश मिठाई खाते है, वो स्वयं भी सारा दिन खुश रहते हैं और दूसरे भी उनको देख खुश होते हैं। यह ऐसी खुराक है जो कोई भी परिस्थित आ जाए लेकिन यह दिलखुश खुराक परिस्थिति को छोटा बना देती है, पहाड़ को रूई बना देती है। इतनी ताकत है इस खुराक में! जैसे शरीर के हिसाब से भी जो तन्दरूस्त व शक्तिशाली होगा वह हर परिस्थिति को सहज पार करेगा और जो कमजोर होगा वह छोटी सी बात में भी घबरा जायेगा। कमजोर के आगे परिस्थिति बड़ी हो जाती है और शक्तिशाली के आगे परिस्थिति पहाड़ से रूई बन जाती है।
अर्थात रोज दिलखुश मिठाई खाना माना सदा दिलखुश रहना।
सदा यह स्मृति में रखे कि हम दिलखुश मिठाई खाने वाले हैं और दूसरों को खिलाने वाले हैं क्योंकि जितना देंगे उतना और बढ़ती जायेगी। देखो, खुशी का चेहरा सबको अच्छा लगता है और कोई दुरूख अशान्ति में घबराया हुआ चेहरा हो तो अच्छा नहीं लगेगा ना! जब दूसरों का अच्छा नहीं लगेगा तो अपना भी नहीं लगना चाहिए। तो सदैव खुशी के चेहरे से सेवा करते रहो।
घर वाले आपको देखकर खुश हो जाएं। चाहे कोई ज्ञान को बुरा भी समझते हो फिर भी खुशी की जीवन को देखकर मन से अनुभव जरूर करते हैं कि इनको कुछ मिला है जो खुश रहते हैं। बाहर अभिमान से न भी बोलें लेकिन अन्दर महसूस करते हैं और आखिर तो झुकना ही है। आज गाली देते हैं कल चरणों पर झुकेंगे। कहाँ झुकेंगे? “अहो प्रभू” कहकर झुकना जरूर है।