तेजपत्ता मधुमेह, अल्जाइमर्स, बांझपन, गर्भस्त्राव, स्तनवर्धक, खांसी जुकाम , जोड़ो का दर्द, रक्तपित्त, रक्तस्त्राव, दाँतो की सफाई, सर्दी जैसे अनेक रोगो में उपयोगी है। ये हमेशा हरा रहने वाले पेड़ तमाल वृक्ष के पत्ते हैं इसको तमालपत्र, तेज पात या तेजपत्ता कहते हैं। तेजपात मसाले के रूप में बहुतायत में काम लेते हैं। यह सिक्किम, हिमालय, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में पैदा होते हैं। तेजपात पेड़ से पत्ते तोड़कर धुप में सुखाकर पंसारी की दुकानो पर बेचे जाते हैं। तेजपत्ता में दर्दनाशक, एंटी ऑक्सीडेंट गुण हैं। तेजपत्ता मधुर, कुछ तीक्षण, उष्ण, चिकना, तैलीय होता हैं। वात, कफ नाशक और पाचक होता हैं। आयुर्वेद में अनेक गंभीर रोगो में इसके उपयोग किये जाते हैं। आइये जाने।
मधुमेह में तेजपत्ते के प्रयोग
- तेजपात को पीसकर बहुत बारीक चूर्ण बना ले। इसकी एक चम्मच नित्य तीन बार पानी से फंकी लेने से मधुमेह के रोगी को शीघ्र लाभ होता हैं। रक्तशर्करा शीघ्र घट जाती हैं।
- रात को एक चम्मच तेजपात का पाउडर एक कांच के गिलास में डालकर तीन चौथाई गिलास पानी से भर कर चम्मच से अच्छी तरह हिलाएं और ढक कर रख दे। सवेरे उस गिलास के पानी पर जैली जैसी परत जमी हुयी दिखेगी। इस परत को हटा कर फेंक दीजिये, और पानी को मलमल के कपडे से छानकर पियें। इसके बाद आधा घंटा कुछ भी ना खाए पियें। रात को पीसी हल्दी आधा चम्मच सोते समय एक कप पानी में घोलकर पियें। इसके बाद ठंडा पानी या दूध ना पियें। यह प्रयोग लम्बे समय तक करते रहे। मधुमेह नियंत्रण में रहेगा।
स्मरण शक्तिवर्धक ‘अल्जाइमर्स’ में उपयोगी।
तेजपात मस्तक पोषक हैं। तेजपत्ता एसिटिलकोलाइनैस्टेरै नामक खतरनाक को बनने से रोकता हैं जो मस्तिष्क के सन्देश वाहक हॉर्मोन वेजमवबंसबपद को तोड़ने का काम करता हैं। तेजपत्ता को नित्य खाए जाने वाले भोजन में शामिल करे। इससे स्मरणशक्ति बढ़ेगी और ‘अल्जाइमर्स’ बीमारी पर नियंत्रण होगा।
बांझपन, गर्भस्त्राव की चिकित्सा
कभी कभी किसी स्त्री को गर्भधान ही नहीं होता और बांझपन की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। किसी को गर्भ ठहरने के बाद गर्भस्त्राव हो जाता हैं। तेजपात दोनों ही समस्याओ को दूर करता हैं। तेजपात का पाउडर चौथाई चम्मच तीन बार पानी से नित्य फंकी ले। कुछ महीने तेजपात की फंकी लेने से गर्भाशय की शिथिलता दूर होकर गर्भधारण हो जाता हैं। जिन स्त्रियों को गर्भस्त्राव होता हो, वे गर्भवती होने के बाद इसी प्रकार तेजपात पाउडर की फंकी कुछ महीने ले। इस प्रकार तेजपात से गर्भ सम्बन्धी दोष दूर होकर गर्भधारण में सहायता मिलती हैं।
स्तनवर्धक
तेजपात पाउडर की फंकी लेने से जिन स्त्रियों के स्तन बहुत छोटे पतले होते हैं, उनके स्तनों का आकार बढ़कर मोटा हो जाता हैं। तेजपात का तेल किसी अन्य तेल में मिलाकर मालिश भी करे।
जुकाम-खांसी
- तेजपात कफजन्य रोगों को ठीक करता है। चौथाई चम्मच तेजपात पाउडर की गर्म पानी से नित्य तीन बार फंकी लेने से सर्दी जुकाम और खांसी ठीक हो जाती हैं।
- तेजपात और छोटी पीपल समान मात्रा में पीसकर आधा चम्मच चूर्ण को एक चम्मच शहद में मिलाकर तीन बार चाटने से खांसी ठीक हो जाती हैं।
जोड़ांे का दर्द, ज्वर होना
तेजपात के चार पत्ते एक गिलास पानी में उबाले। उबलते हुए पानी आधा रहने पर छानकर नित्य तीन बार पियें। इससे पेशाब अधिक आता हैं, ज्वर या बुखार पसीना आकर उत्तर जाता हैं तथा पुनरू ज्वर नहीं आता, बढ़ता। बदन का दर्द ठीक हो जाता हैं।
सिरदर्द
सर्दी या गर्मी में किसी भी कारण से सिरदर्द हो, तो तेजपात डंठल सहित पीसकर हल्का गर्म करके ललाट पर लेप कर दें। दर्द मिट जायेगा।
रक्तपित्त रक्तस्त्राव
मुंह, नाक, मल, मूत्र किसी भी रास्ते से रक्त निकलने पर एक गिलास ठन्डे पानी में एक चम्मच पिसा हुआ तेजपात मिलाकर हर तीन घंटे बाद पिलाने से रक्तस्त्राव बंद हो जाता हैं।
दाँतो की सफाई
सूखे तेज पत्तो को बारीक पीसकर हर तीसरे दिन एक बार मंजन करें। इससे दांत चमकने लगेंगे।
सर्दी के रोग
सर्दी से शरीर में दर्द, नाक में सुरसुराहट, छींके आना, पानी गिरना, सिर में भारीपन, जलन, गला बैठना, तालु छिलना, आदि होने पर 10 ग्राम तेजपात कूटकर तवे पर सेंककर रख लें। इसका 1 भाग, 2 कप पानी, स्वादानुसार दूध, चीनी मिलाकर चाय की तरह उबालकर, छानकर नित्य 3 बार पीने से सर्दी जनित रोग ठीक हो जाते हैं।
विशेषः-
जो लोग आहार विहार विहार के नियमो का पालन करते हैं, उनको दवाओ की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। वे घर में ही उपलब्ध दालचीनी, तेजपात आदि के प्रयोगो से स्वस्थ हो सकते हैं।
Vaid Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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