हरसिंगार को झाड़ीनुमा या छोटा पेड़ कहा जा सकता है। इसके वृक्ष की ऊँचाई लगभग दस मीटर तक होती है। इसके पेड़ की छाल जगह जगह परत दार सलेटी से रंग की होती है एवं पत्तियाँ हल्की रोयेंदार छह से बारह सेमी लंबी और ढाई से.मी. चौड़ी होती हैं। हरसिंगार के पेड़ पर रात्रि में खुशबूदार छोटे-छोटे सफेद फूल आते है, और एवं फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है, प्रातःकाल तक यह फूल स्वतः ही जमीन पर गिर जाते है। इसके फूल अगस्त से दिसम्बर तक आते ह।
हारसिंगार का पेड़ आयुर्वेद में कई बीमारियों में असरदार है। आईए जानते हैं हारसिंगार से रोगों का उपचार
सायटिका (गृध्रसी )ः-
दो कप पानी में हरसिंगार के 8-10 पत्तों के छोटे-छोटे टुकड़े करके डाल लें, इस पानी को धीमी आंच पर आधा रह जाने तक पकाएं। ठंडा हो जाने पर इसे छानकर पियें। इस काढ़े को दिन में दो बार प्रातः खाली पेट एवं सायं भोजन के एक डेढ़ घंटा पहले पियें। इस प्रयोग से सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। इस काढ़े का प्रयोग कम से कम 8 दिन तक अवश्य करना चाहिए।
गठिया रोगः-
हरसिंगार के पांच पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें, इस पेस्ट को एक गिलास पानी में मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं। जब पानी आधा रह जाये तब इसे पीने लायक ठंडा करके पियें। इस काढ़े का सेवन प्रातः खाली पेट पियें। इससे वर्षों पुराना गठिया के दर्द में भी निश्चित रूप से लाभ होता है।
बबासीरः-
बबासीर के लिए हरसिंगार के बीज रामबाण औषधि माने गए हैं इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है। यदि गुदाद्वार में सूजन या मस्से हों तो हरसिंगार के बीजों का लेप बनाकर गुदा पर लगाने से लाभ होता है।
गंजापनः-
हरसिंगार के बीजों को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें द्य इस पेस्ट को 30 मिनट तक गंजे सिर पर लगायें। इस प्रयोग को लगातार 21 दिन तक करने से गंजेपन में अत्याधिक लाभ होता है।
ज्वरः-
इस काढ़े को विभिन्न ज्वर जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, दिमागी बुखार आदि सभी प्रकार के ज्वर में अत्यंत लाभ मिलता।
मलेरियाः-
मलेरिया बुखार हो तो 2 चम्मच हरसिंगार के पत्ते का रस 2 चम्मच अदरक का रस 2 चम्मच शहद आपस में मिलाकर प्रातः सायं सेवन करने से मलेरिया के बुखार में अत्यधिक लाभ होता है।
स्त्री रोगः-
हरसिंगार की 7 कोंपलों (नयी पत्तियों) को पाँच काली मिर्च के साथ पीसकर प्रातः खाली पेट सेवन करने से विभिन्न स्त्री रोगों में लाभ मिलता है।
त्वचा रोगः-
हरसिंगार की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा से सम्बंधित रोगों में लाभ मिलता है। त्वचा रोगों में इसके तेल का प्रयोग भी उपयोगी है।
बालों की रूसीः-
50 ग्राम हरसिंगार के बीज पीस कर 1 लीटर पानी में मिलाकर बाल धोने से रुसी समाप्त हो जाती है। इसका प्रयोग सप्ताह में 3 बार कर।
पेट के कीड़ेः-
प्रातः-दोपहर एवं सायंकाल एक चम्मच हरसिंगार के पत्तों के रस में आधा चम्मच शहद मिला कर चाटने पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। इस प्रयोग को कम से कम तीन दिन तक करना चाहिए।
ह्रदय रोगः-
हरसिंगार के फूल हृदय के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं। एक माह तक प्रातः खाली पेट हरसिंगार के 15-20 फूल या फूलों का रस का सेवन हृदय रोग से बचाता है।
स्वास्थ्य रक्षकः-
स्वस्थ्य व्यक्ति भी यदि सर्दियों में एक सप्ताह तक हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा पियें तो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढती है एवं शरीर यदि किसी प्रकार का संक्रमण हो रहा है तो वह भी समाप्त हो जाता है।
अस्थमाः-
अस्थमा की खांसी में आधा चम्मच हरसिंगार के ताने कि छाल का चूर्ण पान के पत्ते में रखकर चूसने से लाभ मिलता है। इस प्रयोग को दिन में दो बार करना चाहिए।
सूखी खांसीः-
हरसिंगार की 2-3 पत्तियों को पीस कर एक चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खाँसी ठीक हो जाती है।
मांसपेशियों का दर्दः-
2 चम्मच हरसिंगार के पत्तो का रस एवं 2 चम्मच अदरक का रस आपस में मिलाकर प्रातः खाली पेट पीने से मांसपेशियों का दर्द समाप्त हो जाता है।
सौन्दर्य वर्धकः-
हरसिंगार के फूलों का पेस्ट मैदा को दूध मिलाकर उबटन बना लें, शरीर पर लेप करने के 30 मिनट बाद स्नान कर लें। इस प्रयोग से त्वचा में निखार आता है।
विशेषः- आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार वसन्त ऋतु में हरसिंगार के पत्ते गुणहीन रहते हैं। अतः इसका प्रयोग वसन्त ऋतु में लाभ नहीं करता।
Vaid Deepak Kumar
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