हरिद्वार। जीवन में त्यागवृत्ति अपनाने का उपदेश देने वाले कथित भगवाधारी किस तरह से आकंठ माया के पाश में फंसे हैं, इसके उदाहरण समय-समय पर देखने को मिलते रहते हैं। माया के कारण ही अभी तक कई सतों, महंतों और साधुओं की हत्या तक हो चुकी है। संतों के सम्पत्ति विवाद न्यायालय में सबसे अधिक हैं।
वहीं माया को लेकर भक्ति की भूमि कहे जाने वाले गुजरात के गिरनार में भी माया को लेकर संतों के बीच तू-तू, मैं-मैं का दौर जारी है। इतना ही नहीं मामला अब आर-पार हो चला है। दोनों पक्षांे में एक सिद्धों की स्थली गिरनार गुजरात के महेश गिरि बापू हैं तो दूसरी ओर जूना अखाड़े के संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि व प्रेमगिरि महाराज हैं। दोनों के बीच अब जंग आर-पार की हो चली है। मामला गुजरात के सिद्ध पीठ अंबा जी मंदिर को लेकर है।
बता दें कि श्री अंबाजी मंदिर गिरिनार के श्रीमहंत अम्बा जी तनसूख गिरि बापू महाराज 18 नवम्बर की रात्रि को ब्रह्मलीन हो गए। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद मंदिर की गद्दी को लेकर स्वामित्त का विवाद उपजा।
ब्रह्मलीन स्वामी श्रीमहंत अम्बा जी तनसूख गिरि महाराज के शिष्य महेश गिरि महाराज ने बताया कि महाराज श्री के ब्रह्मलीन होने के दूसरे दिन ही आनन-फानन में श्रीमहंत प्रेमगिरि की चारद विधि कर दी गई। जबकि धूल रोट का तीसरे दिन का विधान है। इनके द्वारा दूसरे दिन ही धूल रोट कर संन्यास परम्परा के विरूद्ध कार्य किया गया। उनका कहना था कि यदि चादर विधि करनी ही थी तो कम से कम षोडशी का तो इंतजार किया होता। अमूमन षोडशी के दिन ही उत्तराधिकारी या अन्य की चादर विधि की जाती है।
वहीं महेश गिरि बापू का कहना है कि श्रीमहंत अम्बा जी तनसूख गिरि महाराज उनके चोटी गुरु थे। उन्होंने कहाकि उन्होंने कभी अपना दावा नहीं किया। यदि कोई उनका उत्तराधिकारी है तो वह दावा पेश करे। यदि कोई दावा पेश नहीं करता है तो वह अपना दावा करेंगे। उन्होंने कहाकि सरकार इस मामले की जांच कराए। जो सही हो उसी की चादर विधि होनी चाहिए।
उन्होंने श्रीमहंत हरिगिरि महाराज पर बड़ा हमला करते हुए सरकार से हरिगिरि महाराज के कृत्यों की जांच की मांग की।
उन्होंने कहाकि यदि केन्द्र सरकार हरिगिरि महाराज के कारनामों की जांच कराए तो हरिगिरि महाराज देश के सबसे बड़े घोटाले बाज साबित होंगे। उन्होंने कहाकि जो कुछ हरिगिरि और प्रेमगिरि के द्वारा किया जा रहा है वह सब असंवैधानिक है और नियम विरूद्ध किसी भी कार्य का वे विरोध करेंगे और धर्म की सम्पत्ति को खुर्दबुर्द नहीं होने दिया जाएगा।