हरिद्वार। भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंत्र प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक गुरुवार से शरदीय नवरात्र प्रारम्भ हो रहे हैं। नवरात्रों में कलश स्थापना के मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के बाद 10 घटी अर्थात 4 घंटो तक कलश स्थापना कर लेना चाहिए। चित्रा नक्षत्र एवम वेधृति योग के पूर्वार्ध कलश स्थापना में शुभ नहीं होता है। इस वर्ष में चित्रा नक्षत्र का पूर्वार्ध 10.45 प्रातः तक होगा। इस वर्ष चित्रा नक्षत्र एवम वेध्रति योग ने पूरा मुहूर्त काल दूषित कर रखा है। उन्होंने बताया कि इस बार एक नवरात्र चतुर्थी तिथि के क्षय होने से कम भी होगा। इस परिस्थिति में शास्त्र के निर्देश के अनुसार अशुभ मुहूर्त होते हुए भी अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना की जाएगी। सबसे उत्तम समय 11.52 से दोपहर 12.38 तक का समय होगा। इसी कल में कलश स्थापना करना शुभ होगी। इसी समय नवरात्र प्रारंभ, कलश स्थापना, दीप पूजन, करना कुमारी पूजन से तंत्र पूजा प्रारंभ करना श्रेष्ठ होगा। श्रीमिश्रपुरी के मुताबिक जो लोग रात्रि पूजन करते हैं अर्थात रात्रि में कलश स्थापना करके तांत्रिक पूजा करते हैं, वो भी इसी अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना करके रात्रि में पाठ मंत्र जाप कर सकते हैं। क्योंकि इस बार गुरु शनि की युति मकर राशि में पूरे नवरात्र में रहेगी। इसलिए इस बार के नवरात्र तांत्रिक साधना के लिए उपयोगी होंगे। उन्होंने बताया कि पूरी दुर्गा भगवती साधना में वन दुर्गा की उपासना सबसे कठिन होती है। इस साधना से जंगल के रहने वाले हिंसक जीव भी मित्र हो जाते हैं तथा साधक उनकी बोली भी जान जाता है। इस बार के गुरु शनि की मकर राशि की युति में ये साधना उपयोगी होगी।

नवरात्र में क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त, जानिए


