गणेश कुमार वैद
नशा तस्करी को रोकने के लिए पुलिस ने तेजी से जाल बिछाना शुरू कर दिया है। जिस तरह से उत्तराखंड सरकार ने 2025 तक प्रदेश को ड्रग फ्री देवभूमि बनाने का लक्ष्य रखा है उसे देखते हुए पुलिस नशा तस्करों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्यवाही करने मैदान में उतरी हुई है। पिछले एक माह में ही पुलिस 2000 से ज्यादा नशा तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के सख्त निर्देश पर प्रदेश के सभी जिला प्रभारियों (एसएसपी) ने नशे के खिलाफ धरपकड़ तेज कर दी है।
नशा तस्करी से जुड़ता युवा वर्ग
बेहद कम समय में अमीर बनने की चाहत व तेजी से बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए युवा वर्ग नशे के इस कारोबार से जुड़ता जा रहा है। अभी तक नशा तस्करों की गिरफ्तारियों में ज्यादातर युवा वर्ग ही सामने आया है,इनमे भी 20 से 30 आयु वर्ग तक का युवा शामिल हैं। जिस उम्र में युवा अपना कैरियर बनाने की ओर कदम रखता है उस उम्र में कई बच्चे इस गलत धंधे से अपने कैरियर का शार्टकट तलाश रहे है।
ड्रग्स की चपेट में युवा वर्ग
केवल ड्रग के धंधे में ही युवा वर्ग नहीं है बल्कि इसके सेवन मेे भी अधिकांश युवा पीढ़ी शामिल है जो बेहद चिंता वाली बात है। जिसे कई जागरूक कार्यक्रम चलाकर युवाओं को इसकी लत से दूर रखना होगा। इसके लिए स्कूल,कॉलेज स्तर पर नशे के खिलाफ बनी डेक्युमेंट्री, नुकुड नाटक अथवा कई तरह के जागरूक कार्यक्रम चलाने होंगे। साथ ही मोहल्ले व वार्ड स्तर पर समाज के जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा पुलिस के सहयोग से युवाओं में प्रेरणा लानी होगी। इसके साथ ही इससे होने वाली शारीरिक, सामाजिक व आर्थिक नुकसान के सभी पहलुओं पर युवा पीढ़ी का ध्यान खींचना होगा।
परिजनों का दायित्व,बच्चों पर रखे खास नजर
यदि आपके घर में भी किशोर या युवा है तो जरूरी है कि आप उन पर पूरा ध्यान दें उनको समय दें और सतर्क भी रहें। उनकी दोस्ती किस तरह के लोगों से है इस पर नजर रखना भी बेहद जरूरी है। कुछ ऐसी बातों पर गौर करें जो आपको बच्चे के गलत हाथों में फंसने की ओर इशारा करती हैं। इन सब तरीकों को अपनाकर युवा अथवा किशोरों को गलत संगत में पड़ने से रोका जा सकता है।
भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता
यह बड़ी चिंता का विषय है कि देश में किशोर व युवा पीढ़ी तेजी से इन नशीले पदार्थों के शिकंजे में फंसती जा रही है। देश के कई हिस्सों में ड्रग्स का सेवन एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है।
ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थ केवल इसलिए ही सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाते क्योंकि उनसे नशा होता है। दरअसल इन पदार्थों का लगातार सेवन शरीर के कार्यों में असंतुलन पैदा कर सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। नशीले पदार्थों का सबसे बुरा असर दिमाग पर पड़ता है, क्योंकि जब दिमाग इन पदार्थों की गिरफ्त में आता है तो उसकी काम करने की प्रक्रिया पूरी तरह गड़बड़ा जाती है। एक बार इसकी लत लगने पर इससे पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ड्रग पीड़ितों को भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है।
पुलिस प्रशासन का सहयोग करें
पंजाब से शुरू हुआ ड्रग का धंधा देखते देखते यूपी,दिल्ली से होते हुए देश के कोने कोने में फैलता हुआ अब उत्तराखंड की बेहद शांत वादियों मेे भी दाखिल हो चुका है। यही वजह है कि प्रदेश सरकार के निर्देश पर उत्तराखंड पुलिस ने ड्रग फ्री देवभूमि मिशन चलाया है। जिसके तहत 2025 तक देवभूमि उत्तराखंड को ड्रग मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। निसंदेह पुलिस अपनी सभी यूनिटों के साथ मिलकर दिन रात इस लक्ष्य को पाने का भरपूर प्रयास कर रही है, किन्तु इसके अलावा समाज के प्रत्येक वर्ग को भी इसमें अपना योगदान करना होगा। आखिर ये सबकी सामूहिक जिम्मेदारी भी बनती है कि हम अपने आसपड़ोस में ऐसे किसी संदिग्ध व्यक्ति को जो इस सफेद पुड़िया के काले धंधे से जुड़ा है इसकी सूचना गोपनीय तरीके से पुलिस को देकर एक जिम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभाए और पुलिस का साथ दें।
रविंद्रपुरी महाराज ने दिया सकारात्मक संदेश
जिन युवाओं में ड्रग की लत लग गई उन्हें समाज ही नहीं उनके परिजन भी उनसे किनारा करने लगते है। ऐसे में इन ड्रग पीड़ितों की मदद के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने एक सकारात्मक पहल करते हुए 21 नशा पीड़ित युवाओं को गोद लेने की घोषणा कर समाज को एक बड़ा संदेश दिया। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए सभी को एक साथ मिलकर सहयोग करने पर जोर दिया ।