स्वामी सत्यानंद सरस्वती एवं स्वामी मनकामेश्वर गिरी बने महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर

सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक हैं युवा संतः रवींद्र पुरी


हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज के तत्वाधान में वृंदावन के स्वामी सत्यानंद सरस्वती एवं अमृतसर के स्वामी मनकामेश्वर गिरी महाराज को अखाड़े की छावनी में रमता पंच एवं संत समाज ने तिलक चादर प्रदान कर महामंडलेश्वर पद पर अभिषेक किया।


इस दौरान श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है। और संत समाज ने सदैव ही राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया है। युवा संत सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक हैं, जो धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और उत्थान में अपना निरंतर सहयोग प्रदान कर रहे हैं। आशा है कि स्वामी सत्यानंद सरस्वती एवं स्वामी मनकामेश्वर गिरी महाराज अपने तप और विद्वत्ता के माध्यम से अखाड़े को उन्नति की ओर अग्रसर करने में अपना सहयोग प्रदान करेंगे। संत समाज उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।


श्रीमहंत किशन गिरी एवं श्रीमहंत सुभाष पुरी महाराज ने कहा कि युवा संत राष्ट्र की धरोहर है। और महापुरुषों ने सदैव समाज को नई दिशा प्रदान की है। स्वामी सत्यानंद सरस्वती एवं स्वामी मनकामेश्वर गिरी महाराज ऊर्जावान एवं योग्य महापुरुष है। जो सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए धर्म एवं संस्कृति के प्रचार प्रसार में अपना योगदान प्रदान कर रहे हैं। और आगे भी करते रहेंगे। नवनियुक्त महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद सरस्वती एवं स्वामी मनकामेश्वर गिरी महाराज ने कहा कि जो दायित्व उन्हें अखाड़े द्वारा सौंपा गया है। वह उसका पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करते हुए अखाड़े द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पो में लगातार बढ़ोतरी करेंगे। और संतों की सेवा करते हुए राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने के लिए अपना सहयोग सुनिश्चित करेंगे। इस दौरान श्रीमहंत रामेन्द्र पुरी, श्रीमहंत कमल पुरी, श्रीमहंत महेश गिरी, श्रीमहंत रविंद्र गिरी, श्रीमहंत देवगिरी, श्रीमहंत अखिलेश भारती, स्वामी कृष्ण पुरी, स्वामी सूर्यमोहन गिरी सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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