हरिद्वार। निरजन पीठाधीश्वर आचार्य मण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद समेत अन्य संतों को खीर में जहर देकर मारने की योजना बनाने वाले को पुलिस को सौंप कर परी अखाड़े की प्रमुख साध्वी त्रिकाल भंवता बुरी फंस गई हैं। अब उन पर जुबान बंद रखने का दवाब बनाया जा रहा है। जिस कारण से साध्वी त्रिकाल भवंता परेशान हैं।
बता दें कि यूपी के बागपत निवासी विक्रम सिंह 23 दिसम्बर को प्रयागराज स्थित नैनी पुल के नीचे साध्वी त्रिकाल भवंता से मिलने गया था। उस समय उसने स्वंय को योगेन्द्र शर्मा बताया था। जिसके बाद विक्रम ने साध्वी त्रिकाल भवंता से स्वामी कैलाशानंद के जन्मोत्सव में बनने वाली खीर में जहर मिलाकर मारने की बात कही थी। साथ ही बताया था कि पुलिस में नौकरी लगवाने के नाम पर उससे स्वामी कैलाशानंद ने 20 लाख रुपये लिए थे। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ मुकद्मा दर्ज कर लिया था। इसके साथ ही सात दिनों की रिमांड पर भी आरोपी को ले लिया है। जिसके बाद पुलिस आरोपी को बागपत व हरिद्वार ला सकती है।
वहीं बीते रोज पुलिस कर्मी साध्वी त्रिकाल भवंता के आश्रम पहुंचे और साध्वी को मीडिया या अन्य को आरोपी द्वारा कही गई 20 लाख रुपये देने की बात की चर्चा करने से मना किया। साध्वी के मुताबिक पुलिसकर्मियों ने कहाकि आपके पास क्या सुबूत है कि यह बात आरोपी विक्रम ने कही। जिस पर साध्वी ने कहाकि मेरे पास तो इस बात भी सुबूत नहीं है कि आरोपी मेरे पास आया था और उसने स्वमी कैलाशानंद व अन्य संतों को जहर देकर मारने की बात कही थी। साध्वी ने कहाकि यदि कोई सुबूत नहीं है तो आरोपी को गिरफ्तार क्यों किया गया। उसे छोड़ देना चाहिए था। साध्वी त्रिकाल भंवता के मुताबिक जिस तहरीर पर मुकद्मा दर्ज किया गया है उस तहरीर को भी पुलिस कर्मी लिखकर लाए थे, उन्होंने केवल उस पर हस्ताक्षर किए थे। उस तहरीर में भी आरोपी विक्रम द्वारा लगाए गए 20 लाख रुपये देने के आरोप वाली बात को सम्मलित नहीं किया गया है।
बताया कि उस समय वह काफी परेशान थी और इस बात पर उनका ध्यान नहीं गया। उन्होंने कहाकि यदि कोर्ट या मीडिया उनसे इस सबंध में पूछता है तो वह सत्य ही बताएंगी। बताया कि पुलिस कर्मियों ने कहा कि आपको तो लोग फर्जी संत कहते हैं। उन्होंने जवाब दिया कि गुगल में सर्च करो आज भी फर्जी संतों की लिस्ट में मेरा नाम आएगा। यह सब करा धरा ब्रह्मलीन नरेन्द्र गिरि का था। 10 वर्ष तक वह मुझे फर्जी बताते रहे। यदि इस समय 20 लाख रुपये की चर्चा करने से आप लोग मना कर रहे हैं तो बताएं जिस समय मुझे फर्जी कहा जा रहा था उस समय जांच क्यों नहीं की गई। उन्होंने कहाकि जब जहर देकर मारने वाली बात पर आरोपी को गिरफ्तार कर उसकी जांच की जा सकती है तो उसके द्वारा लगाए गए 20 रुपये देने के आरोपों की जांच क्यों नहीं की जा रही। क्यों दूसरे की जुबान को बंद कर सत्य को दबाया जा रहा है। उनका कहना है जहां भी जरूरत पड़ेगी वह सत्य को बोलने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहाकि सत्य का साथ देकर उन पर असत्य के लिए दवाब बनाने का कार्य बड़े लोगों के प्रभाव के चलते किया जा रहा है।