विश्वविद्यालय निर्माण के लिये नरसिंहानंद गिरि ने शुरू किया भिक्षा अभियान

शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने गाजियाबाद के पुलिस अधीक्षक ग्रामीण डॉ इरज राजा और सहायक पुलिस अधीक्षक आकाश पटेल से भिक्षा मांगकर अपनी भिक्षा यात्रा का शुभारंभ किया। यह भिक्षा यात्रा शिवशक्ति धाम डासना के पुनर्निर्माण और सनातन धर्म के विश्वविद्यालय जिसका नाम सनातन वैदिक ज्ञानपीठ होगा, के निमित्त की जा रही है। दोनों पुलिस अधिकारियों से भिक्षा प्राप्त करके महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद महाराज जिलाधिकारी गाजियाबाद आरके सिंह व उपजिलाधिकारी सदर विनय सिंह जी के पास भिक्षा के लिये गए।


भिक्षा यात्रा के बारे में बताते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने बताया कि शिवशक्ति धाम डासना इस क्षेत्र का सर्वाधिक प्राचीन तीर्थ है, जहां देवाधिदेव भगवान महादेव शिव व जगद्जननी मां जगदम्बा अनंत काल से निवास कर रही हैं। इस ऐतिहासिक तीर्थ में माँ और महादेव की सात्विक ऊर्जा किसी भी अन्य तीर्थ की अपेक्षा अधिक है। यह तीर्थ वर्तमान में सनातन धर्म की रक्षा के सबसे बड़े केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है। इतनी सात्विक ऊर्जा के होते हुए भी यह तीर्थ धनाभाव से जूझ रहा है। इसके साथ ही मन्दिर में बहुत समय से वेद और सनातन धर्म की शिक्षा के लिये विद्यालय की भी बहुत आवश्यकता है। इस कार्य के लिये विपुल धन की आवश्यकता है जो अभी तीर्थ में नहीं है। इसी धन की व्यवस्था के लिये वो भिक्षायात्रा पर हैं। यह भिक्षायात्रा आज आरम्भ हुई और है और सनातन धर्म के विश्वविद्यालय जिसका नाम सनातन वैदिक ज्ञानपीठ होगा, की स्थापना के साथ पूर्ण होगी। इस भिक्षायात्रा कि शुरुआत उन अधिकारियों से भिक्षा मांगकर की गई है जिससे पिछले कुछ समय मंे महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी का बहुत विवाद रहा है। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी का मानना है कि इनके सामने हाथ फैलाकर वो अपने खुद के अहंकार से लड़ रहे हैं, क्योंकि हम सब सनातन के मानने वालों की सबसे बड़ी समस्या मूर्खतापूर्ण अहंकार है।


सनातन वैदिक ज्ञानपीठ के बारे बताते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने बताया कि सौ करोड़ से ज्यादा सनातन धर्मी विश्व की प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति हैं पर हमारे पास एक भी ऐसी संस्था नहीं है जो समग्र में सनातन धर्म पढ़ाती हो। इसी कारण आज हमारे युवा दिग्भ्रमित हैं और वस्तुतः अपने और अपने परिवार सहित धर्म के शत्रु बन जाते हैं। सनातन धर्म के इस शून्य को भरने के लिये ही आज सनातन वैदिक ज्ञानपीठ की आवश्यकता है जिसे हम हिन्दुआंे के तीन सबसे बड़े अवगुण धर्म के प्रति अज्ञान, कायरता और जातिवाद पर निर्णायक प्रहार करके सनातन धर्म की नीव को मजबूत करना है। अगर माँ और महादेव की इच्छा हुई तो सनातन वैदिक ज्ञानपीठ की स्थापना अवश्य होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *