संस्कृति की रक्षा के लिए बने कानूनः प्रज्ञानानंद

हरिद्वार। ज्योतिष एवं शारदा पीठाधीश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज ने कहाकि गौ हत्या देश में कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। धर्म और संस्कृति पर प्रहार करने वाले की भारत में कोई जगह नहीं होनी चाहिये। गौ हत्यारों पर रासुका की नहीं लगनी चाहिये इन्हें देश के बाहर निकालना चाहिये।


यह बात उन्होंने सिवनी मध्य प्रदेश में हुई घटनाओं के संबंध में कही है। स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज ने कहा कि पिछले एक सप्ताह से लगातार संज्ञान में सिवनी के समाचार आ रहे हैं। यह भी बताया गया कि गौहत्यारों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की जा रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही उस पर होनी चाहिये जिसने राष्ट्र को नुकसान पहुंचाया हो। 50 गौवंश की हत्या हो जाने से राष्ट्र को बहुत बड़ा नुकसान नहीं पहुचा। देश की जीडीपी में इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। गौ हत्या से असल नुकसान धर्म और संस्कृति को पहुंचा है। भारत की पहचान भारत की संस्कृति यहां के धर्म से है अन्यथा यहां की भूमि में और पाकिस्तान, बाग्लादेश, ईरान, ईराक, अफगानिस्तान की भूमि में कोई बहुत अंतर नहीं है। ये सब देश अपनी संस्कृति के कारण अलग-अलग हैं।


स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज ने कहा कि राष्ट्र से बड़ी संस्कृति होती है। अगर किसी देश को अपना विस्तार करना है, तो केवल अपनी संस्कृति का विस्तार कर लेना चाहिये, देश का विस्तार स्वतः हो जायेगा और अगर किसी देश को नष्ट करना है तो केवल उस देश की संस्कृति को नष्ट कर देना चाहिये, देश स्वतः खत्म हो जायेगा। उन्होंनेे कहा कि भारत में सातवी शताब्दी में इस्लाम का उदय हो गया था। एक जमीन और एक आकाश होने के बाद भी इन 12 सौ वर्षों में हिन्दु और मुसलमान कभी एक नहीं हो पाये, क्योंकि इस्लाम प्रभावित होने से डरता है। उसे लगता है कि अगर धर्म में कोई संशोधन होगा तो सुधरा हुआ संशोधित हुआ इस्लाम, इस्लाम नहीं है।


स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज ने कहा कि भारत में गायों की बकरों की कभी बली नहीं दी जाती थी। पाकिस्तान के जिन भिखारियों पर भारत ने दया कर दी वे अब अपनी कुप्रथाओं का विस्तार कर छोटे-छोटे पाकिस्तान बना रहे हैं। ये एक तरफ अपनी जनसंख्या बढ़ा रहे हैं दूसरी तरफ हमारी संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं। जनसंख्या पर नियंत्रण होना चहिये संस्कृति की रक्षा होनी चाहिये। भारत की संस्कृति की रक्षा के लिये कोई कानून नहीं है यह इस देश का बहुत बड़ा नकारात्मक पहलू है।

उन्होंने कहा कि संस्कृति बीज है, राष्ट्र वृक्ष है। जो वृक्ष को नुकसान पहुंचाये उस पर रासुका या अन्य जो भी कानून हो उसके अनुसार कार्यवाही की जा सकती है, पर जो बीज को नुकसान पहुंचाये वह मृत्यु दंड का या देश से बाहर किये जाने का अधिकारी है और इसी आधार पर हिन्दुस्तान और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था, क्योंकि सदियों तक साथ रहने के बाद भी इस्लाम ने हिन्दु संस्कृति का सम्मान नहीं किया।


शंकराचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज ने कहा कि देश में अब एक नये कानून की आवश्यक्ता है, जो संस्कृति की सुरक्षा करे। भारत में वही लोग रहने चाहिये जो भारतीय संस्कृति को सनातन संस्कृति को, श्रमण संस्कृति को अपनाये तथा इसका सम्मान करें, इसे नुकसान पहुंचाने वालों का देश में कोई स्थान नहीं होना चाहिये। भारतीय जनता पार्टी को इस पर विचार करना चाहिये कि क्यों न संस्कृति की सुरक्षा के लिये एक कानून बनाया जाये।

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