बाबा हठयोगी ने दोनों अखाड़ा परिषद अध्यक्षों को भेजा कानूनी नोटिस

अखाड़ों की सम्पत्तियों सेें व्यवसायिक गतिविधियां चलाने व स्टांप चोरी का आरोप
हरिद्वार।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा बलराम दास हठयोगी ने दोनों अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्षों को कानूनी नोटिस अपने अधिवक्ता एसके भामा के माध्यम से भेजा है। श्रवणनाथ नगर स्थित श्री रामानंद आश्रम में पत्रकारों से वार्ता करते हुए अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद के महामंत्री बाबा हठयोगी ने कहा कि अखाड़ा परिषद, जो संत समाज की सर्वोच्च संस्था है, कुछ व्यक्तियों के निजी स्वार्थ और राजनीति का शिकार हो गई है, जिससे संत समाज की छवि धूमिल हो रही है।

बाबा हठयोगी ने आरोप लगाया कि अखाड़ा परिषद की संपत्तियों को सस्ते स्टांप पर बेचा जा रहा है और इन संपत्तियों पर फ्लैट, होटल, और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां चलाई जा रही हैं। इस धनराशि का बंदरबांट किया जा रहा है और अखाड़ा परिषद इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि पिछले हरिद्वार कुंभ में अखाड़ों को सरकार द्वारा दी गई धनराशि का कोई उपयोग जनहित में नहीं हुआ। जबकि आज तक अखाड़ों ने सरकार से प्राप्त धनराशि का ब्यौरा नहीं दिया की सरकारी धन को कहां और कैसे खर्च किया गया है।


बताते हैं कि पूर्व में स्टांप चोरी कर फ्लैट बेचने के मामले में नोटिस भी जारी हुए थे, किन्तु प्रभाव के चलते मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि प्रयागराज कुंभ में अखाड़ों को धनराशि देने का दबाव बनाने के बावजूद मुख्यमंत्री ने यह धनराशि नहीं दी। बाबा हठयोगी ने कहा कि अखाड़ों में भूमाफियाओं, राजनेताओं और ठेकेदारों का अनुचित हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है, और यह स्थिति संत समाज की गरिमा को खंडित कर रही है।

बाबा हठयोगी ने दोनों गुटों के अध्यक्षों को 15 दिनों का नोटिस जारी करते हुए स्पष्ट किया कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो वह इस मामले को उच्च न्यायालय में ले जाने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद का पुनर्गठन आवश्यक है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वह अपने मूल उद्देश्यों पर वापस लौटे।

उन्होंने समाज और संतों से अपील की कि वे एकजुट होकर संत परंपरा और अखाड़ा परिषद की गरिमा की रक्षा करें। संतों की मर्यादा बनाए रखने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि अखाड़ा परिषद को एक साझा मंच के रूप में पुनः स्थापित किया जाए। इस समय भारतीय अखाड़ा परिषद के दो अध्यक्ष हैं।

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