महिलाओं-बच्चों के पोषण एवं सुरक्षा के लिए किए नीतिगत हस्तक्षेपः महेंद्र भाई

बाल विकास मंत्रालय की ओर से संयुक्त जोनल सेमिनार का आयोजन
हरिद्वार।
गुरुवार को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार के तत्वाधान में उत्तर भारत के राज्यों के आकांक्षी जनपदों का संयुक्त जोनल सेमिनार तथा योजनाओं की समीक्षा बैठक हरिद्वार के एक बैंकट हाल में आयोजित की गयी। सेमिनार का उद्देश्य उत्तर भारतीय राज्यों के आकांक्षी जनपदों में महिला एवं बाल विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा, बेस्ट प्रैक्टिसेज की साझेदारी करना था।


केन्द्रीय राज्य मंत्री महिला एवं बाल विकास भारत सरकार मंजुपारा महेन्द्रभाई ने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के पोषण तथा महिलाओं की सुरक्षा एवं सशक्तीकरण हेतु नीतिगत हस्तक्षेप भारत सरकार के स्तर पर किये गए हैं। केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का परिणाम है कि महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु पुरुषों के समान करना, गर्भपात हेतु स्वीकृत सप्ताह को 20 से 24 सप्ताह करना, तीन तलाक जैसे गंभीर और संवेदनशील मुद्दों पर गंभीर निर्णय लेने के साथ ही महिलाओं के वित्तीय आत्मनिर्भरता के लिए योजनाओं को विस्तार दिया है।


इस अवसर पर वात्सल्य योजना के अंतर्गत 4000 प्रभावित बच्चों को प्रति बच्चा 3000 रुपये प्रतिमाह की दर से कुल रुपये 2 करोड़ 40 लाख, माह अप्रैल एवं मई की किश्त के रूप में इंडसइंड बैंक के सहयोग से एक क्लिक पर उनके खातों में डीबीटी द्वारा प्रेषित की गई तथा योजना की एक वीडियो फिल्म के माध्यम से अन्य राज्यों से आये प्रतिभागियों को योजना की जानकारी दी गयी।


कार्यक्रम में केन्द्रीय मुख्य सचिव इंदीवर पांडेय ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहाकि आँगनवाड़ी केंद्रांें के कारण कुपोषण के स्तर को बहुत हद तक नियंत्रित किया जा सका है। वर्तमान में आंगनवाड़ी सेवा की गुणवत्ता के साथ ही सेवा के डिजिटलीकरण पर अत्यधिक बल दिया जा रहा है। इस हेतु पोषण ट्रैकर एप को चलाया जा रहा, जिसमें प्रत्येक लाभार्थी महिला एवं बच्चे की जानकारी दर्ज करने के साथ ही उनके एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास के समय परिवर्तन भी किया जा सकता है ताकि लाभार्थी चाहे कहीं भी हों उन्हें सेवा का लाभ मिलना बंद न हो। इसके साथ ही मिशन वात्सल्य के अंतर्गत जनपद स्तर पर जिलाधिकारियों की भूमिका को निर्धारित कर दिया गया है जो कि पहले स्पष्ट नही थी। सचिव भारत सरकार ने बल दिया कि जब तक राज्य और जनपद कन्वर्ज नहीं करेंगे तब तक राष्ट्रीय स्तर पर कन्वर्जेन्स का असर परिलक्षित नहीं होगा।
महिला बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि पिछले पांच वर्षों से प्रदेश में योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन एवं नई योजनाओं के द्वारा स्वास्थ्य एवं पोषण तथा महिला सशक्तीकरण की दिशा में नित नए आयाम प्राप्त किये जा रहे हैं। पोषण अभियान को राज्य में प्रभावी बनाते हुए मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना के साथ भारत सरकार की पोषण अभियान के ताल से ताल मिलाकर कुपोषण के विरुद्ध प्रतिबद्ध हैं।
इसी के साथ बच्चे के स्वास्थ्य के साथ ही माँ के स्वास्थ्य को भी प्रमुखता दी गयी है।


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और पोषण अभियान दोनों के उद्देश्यों को साधते हुए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में महालक्ष्मी योजना भी चलाई जा रही है। मंत्री ने बताया कि प्रधान मंत्री के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के आह्वान के बाद प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019 के अनुसार लैंगिक अनुपात में 984 हो गया है। प्रधानमंत्री के विजन से प्रेरित होकर वात्सल्य योजना के अंतर्गत कोविड से प्रभावित 4100 से अधिक बच्चों को प्रतिमाह 3000 की सहायता राशि दी जा रही है।
स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि शिक्षा विभाग एवं महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त पहल से नई शिक्षा नीति के अंतर्गत बाल वाटिका को संचालित करने वाला उत्तराखंड देश में पहला राज्य हो सकता है।


सांसद हरिद्वार डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि समाज के अंतिम तबके के प्रत्येक व्यक्ति को सबल बनाने हेतु चिकित्सा, शिक्षा तथा महिला एवं बाल विकास पर सबसे अधिक ध्यान भारत सरकार एवम राज्य सरकार द्वारा दिया जा रहा है। बच्चा एवं मां सुरक्षित होंगे तो परिवार सुरक्षित होगा और परिवार के सुरक्षित होने से देश सुरक्षित और सशक्त होगा। इसीलिए वर्तमान में प्रधान मंत्री के विजन में महिला एवं बाल विकास की विभिन्न योजनाओं तथा भारत को पुनः विश्व पटल पर विश्वगुरु बनाने की ओर लक्षित नई शिक्षा नीति को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। साथ ही उपस्थित लाभार्थियोें को महालक्ष्मी किट का वितरण किया गया।
इस सेमिनार में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब एवं जम्मू और कश्मीर के जन प्रतिनिधियों तथा जिलाधिकारियों तथा विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही अकादमिक तथा सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर अध्यक्ष एवं सदस्य बाल संरक्षण आयोग उत्तराखंड, सचिव महिला एवं बाल विकास हरिचंद्र सेमवाल, उत्तर प्रदेश से जिलाधिकारी सोनभद्र एवं बलरामपुर, जिलाधिकारी हरिद्वार, जिलाधिकारी उधमसिंह नगर तथा राज्यों के प्रशासनिक एवं विभिन्न विभागीय अधिकारियों के साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तराखंड से उपनिदेशक एसके सिंह, राज्य परियोजना अधिकारी अखिलेश मिश्रा, मुख्य परिवीक्षा अधिकारी मोहित चौधरी के अतिरिक्त अकादमिक तथा सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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