अमावस्या पर होता है देवताओं का गंगा में वासः किशन गिरि

हरिद्वार। सोमवती अमावस्या पर द्रोणाचार्य की नगरी देहरादून स्थित जंगम शिवालय में भगवान शिव का विशेष श्रृंगार करने के साथ विशेष पूजा-अर्चना की गयी।
इस अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को सोमवती अमावस्या व मंगलवार को पड़ने वाली मौनी अमावस्या के महत्व के संबंध में बताते हुए मंदिर के श्रीमहंत किशन गिरि महाराज ने कहाकि सोमवती व मौनी अमावस्या का अपना खास महत्व है। इस दिन गंगा में देवताओं का वास रहता है। इसलिए गंगा स्नान करना अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक फलदायी होता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या का विशेष महत्व भी बताया जा रहा है, क्योंकि मौनी अमावस्या पर ग्रहों का संयोग ऐसा बना है जो इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ा रहा है।
उन्होंने कहाकि इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन कई गुना फल देता है। उन्होंने कहाकि इस वर्ष की अमावस्या विशेष फलदाई इसलिए हो रही है कि मकर राशि में शनि का जो संयोग बन रहा है, जो लगभग 27 से 28 वर्षों तक नहीं मिलेगा। बताया कि जिन लोगों की राशि कर्क, मकर या मीन राशि है तो उन सभी लोगों को इस वर्ष अमावस्या के दिन विशेष दान करना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन प्रातःकाल गंगा स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी का दान करें। इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब और भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं। हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। माघ अमावस्या पर मौन रहने का विशेष महत्व बताया गया है।

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