गुरुकुल विवि विवादः अब तक आर्य समाज की करोड़ों की बेची जा चुकी हैं जमीनें

हरिद्वार। गुरूकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के संस्थापक स्वामी श्रृद्वानंद महाराज ने अपने तप और कर्तव्य निष्ठा के आधार पर विश्वविद्यालय को स्थापित किया था। विश्वविद्यालय को दान मांग कर बहुमजिला ईमारतें बनाकर यहां पर वैदिक ऋचाओं और योग के पाठयक्रम को संचालित किया था। विश्वविद्यालय को स्थापित कर देश और दुनिया में गुरूकुल का परचम फहराया था। जब से यह विश्वविद्यालय सभाआंे के निर्देशन में चलना शुरू हुआ तभी से ही विश्वविद्यालय की जमीनों का मौलभाव होना शुरू हो गया। और दान की जमीन का सभाओं द्वारा व्यापार भी शुरू हो गया।

आर्य जगत की शिरोमणी संभा सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा नई दिल्ली के आदेशानुसार आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब का 1975 में त्रिशाखन हो गया। फलस्वरूप गुरूकुल कंागडी विश्वविद्यालय तथा सम्बद्व संस्थाआंे का संचालन तीन सभाआंे पंजाब, दिल्ली व हरियाणा के हाथों में चला गया। तभी से विश्वविद्यालय का अलग से संविधान बना जिसमें तीनों सभाएं समान रूपसे सम्मलित हैं। अन्य संस्थाओं के लिए आर्य विद्या सभा का गठन किया गया। जिसमें तीनों सभाएं सम्मलित है।


समविश्वविद्यालय का संचालन तीनों सभाओं के द्वारा हो रहा है। तब से ही विश्वविद्यालय की जमीनों का खुर्दबुर्द होना शुरू हो गया है। सभाआंे के अधिकारियों द्वारा समस्त सम्पत्तियों पर उनका कब्जा होने के कारण येन-केन प्रकारेण विश्ववविद्यालय के भवन भूमि और सम्पत्तियांे के सभा के पद्वाधिकारी सौदागर बन गये। पिछले लगभग तीन दशकांे से सम्पत्तियों का व्यापार चरम सीमा पर बढता ही गया। शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार का कहना है कि सभाओं के पद्वाधिकारियांे द्वारा अलग-अलग स्थानों पर जमीनों का सौदा किया गया। जो गुरूकुल की निम्न सम्पत्तियां बेची गयी। जिनमें

  1. शंकर आश्रम के पास की भूमि 12 लाख रूपये में।
  2. हरिराम इण्टंर कालेज की भूमि 14 लाख रूपये में।
  3. हरिराम इंण्टर कालेज के पीछे की भूमि 14 लाख रूपये में।
  4. हरिराम इंटर कालेज के मैदान की भूमि 16 लाख रूपये में।
  5. शिवा होटल वाली भूमि 5 लाख रूपये में।
  6. रोटरी रंगशाला की भूमि 4 लाख रूपये में।
  7. बडे परिवार के पीछे की भूमि तीन लाख रूपये में।
  8. फार्मेसी के सामने की भूमि 14 लाख रूपये में।
  9. फार्मेसी के पीछे की भूमि 16 लाख रूपये में।
  10. मेरठ स्थित भवन 14 लाख रूपये में।
    कुल योग एक करोड इक्तीस लाख रूपये वर्तमान में इसकी कीमत करोडों में है। इस सभी कामों में सभाआंे का योगदान किसी से छिपा नहीं है। सभाएं लगातार जमीनों पर अपनी नजर बनाकर रखे हुए हैं।

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