पुराने संबंधों व मित्रता की दुहाई भी न आ सकी काम, माफी मांग छुड़वाया पीछा
हरिद्वार। आपराधिक चेले के समर्थन में आए गुरु को मुंह की खाने के साथ जमकर लताड़ भी खानी पड़ी। इतना होने के बाद भी गुरु ने माफी मांगकर अपना पीछा छुड़वाने में भलाई समझी।
उल्लेखनीय है कि विगत दिनों गंगा पार के एक संत ने एक बाबा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन पर गंभीर आरोप लगाए थे। आरोपों से बौखलाए बाबा के चेलों ने एक बैरागी संत को मध्यस्थ बनाकर मामले को निपटाने की गुहार लगाई थी, किन्तु बाबा के चेलों की लाख कोशिशों के बाद भी बाबा पर आरोप लगाने वाले महाराज टस से मस नहीं हुए और जवाब में कहाकि बाबा ने अब पीपल के प्रेत को छेड़ा है तो इसका खामियाजा तो उसे भुगतना ही पड़ेगा।
अब महाराज के गरम तेवर देखते हुए बाबा के गुरु ने महाराज को मनाने का असफल प्रयास किया। सूत्र बताते हैं कि बाबा का नंगा गुरु बीते कई दिनों ने आरोप लगाने वाले महाराज को वार्ता के लिए बुला रहा था। बीते रोज देर शाम महाराज गुरु के पास पहुंच गए। गुरु ने महाराज ने बाबा का पीछा छोड़ने की गुहार लगाते हुए तमाम तरह की दुहाई दी। गुरु ने महाराज को अपनी पुरानी मित्रता की भी दुहाई देते हुए चेले का पीछा छोड़ने का दवाब बनाया।
गुरु की बात सुनकर महाराज भड़क गए। महाराज ने कहाकि जो गुहार आज आप लगा रहे हो यह आपको बदामाशों को चेला बनाने से पहले सोचना चाहिए था। आप अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को चेला बनाकर अपराध को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं। यदि आप मित्रता की दुहाई दे रहे हैं तो आपको दोनों में से एक को चुनना होगा। या तो आप आपराधिक छवि वाला चेला चुन लें या फिर मित्र को। इतना सुनने के बाद गुरु ने मौन धारण कर लिया।
कुछ देर मौन रहने के बाद गुरु ने महाराज से कहाकि पूर्व में आपने चेले का समर्थन किया था तो अब विरोध क्यों। इस पर महाराज ने जवाब दिया की मुझे इस बात का ज्ञान नहीं था कि चेला आपराधिक छवि वाला है। मैंने जो समर्थन उस समय किया था वह मेरी भूल थी, जिसके लिए मैं सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए भी तैयार हूं। महाराज के सत्य वचन सुनकर गुरु कहने लगे की मुझे लगता है की आज आप मुझे सुनाने के लिए ही आए हैं।
वहीं महाराज द्वारा गुरु को लगाई जा रही लताड़ के दौरान वहां जनपद हरिद्वार के एक विधायक भी मौजूद थे, जो गुरु को लगाई जा रही लताड़ को चुपचाप सुनते रहे और मंद मंद मुस्कुराते रहे।
बाद में गुरु ने किसी तरह से महाराज ने अपना पीछा छुड़ाने में ही अपनी भलाई समझी। मजेदार बात यह रही की इस चर्चा के दौरान गुरु ने एक बार भी इस बात से इंकार नहीं किया की उनका चेला आपराधिक प्रवृत्ति का नहीं है।