दक्षिण एशिया में फर्जी सिम कार्ड भेजने वाले सिम कार्टेल का भंडाफोड़, हरिद्वार से मास्टरमाइंड गिरफ्तार

अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों को फर्जी सिम कार्ड बेचने वाला मास्टरमाइंड गिरफ्तार थाईलैंड, कम्बोडिया, म्यांमार समेत भारत में बेचा 20 हजार से अधिक फर्जी सिम कार्ड्स


देहरादून।
उत्तराखंड पुलिस और 14 सी गृह मंत्रालय ने दक्षिण एशिया में फर्जी सिम कार्ड भेजने वाले सिम कार्टेल का भंडाफोड़ किया है। उत्तराखंड एसटीएफ ने अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों को फर्जी सिम कार्ड उपलब्ध कराने वाले एक मास्टरमाइंड को हरिद्वार के मंगलौर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। मास्टरमाइंड ने अब तक 20 हजार से अधिक फर्जी सिम कार्ड दक्षिण एशियाई देशों थाईलैंड, कम्बोडिया, म्यांमार आदि के अलावा भारत के कई राज्यों के साइबर ठगों को उपलब्ध कराया है। मास्टरमाइंड ने मंगलौर थाना क्षेत्र में घर-घर जाकर कई महिलाओं को फर्जी सरकारी स्कीम अथवा कंपनी की ओर से कप सेट देने का लालच देकर उनके आधार कार्ड आदि दस्तावेज व बायोमैट्रिक मशीन पर अंगूठा निशानी लेकर फर्जी तरीके से हजारों सिम कार्ड्स एक्टिवेट किया है। गिरफ्तार मास्टरमाइंड फर्जी तरीके से प्राप्त इन हजारों सिम कार्ड्स को चाइनीज व कम्बोडिया से संचालित व्हाट्सएप ओटीपी ग्रुप के माध्यम से साइबर ठगों को 50 रुपये प्रति ओटीपी के हिसाब से बेच रहा था।


चाइनीज व कम्बोडिया से संचालित उक्त व्हाट्सएप ओटीपी ग्रुप के माध्यम से विदेशों में बैठे साइबर ठग इन भारतीय सिमों पर व्हाट्सएप व अन्य एप्लीकेशंस एक्टिवेट कर लोगों को अपने जाल में फंसाकर ट्रेडिंगकृइंवेस्टमेंट के नाम पर लालच देकर पूरे भारत में साइबर ठगी कर रहे थे। पुलिस ने मास्टरमाइंड के पास से 1816 सिम कार्ड्स, दो चेक बुक, पांच मोबाइल व दो बायोमैट्रिक डिवाइस बरामद किया है।


पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था उत्तराखंड निलेश आनन्द भरणे ने बताया कि अप्रैल 024 में माजरी माफी मोहकमपुर देहरादून निवासी एक पीड़ित की तहरीर पर नेहरु कॉलोनी थाने पर दर्ज मुकदमे की विवेचना एसटीएफकृसाइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को प्राप्त हुई थी। पीड़ित ने बताया कि वह पिछले आठ माह से फेसबुक पर कथित कल्याणी निवासी चेन्नई नामक फेसबुक फ्रेंड के संपर्क में था। उसने मेटल एडवाइजर का कार्य करना बताया था। वह किसी वेबसाइट पर लोगों को पैसा इंवेस्ट कर तीन गुना मुनाफा कमाने को कहती थी। उसने फेसबुक पर कई ऐसी चौट के स्क्रीनशॉट डाले थे। इसमें लोगों ने तीन गुना फायदा होने की बात स्वीकार की थी। कई माह बाद पीड़ित ने खुद भी इंवेस्टमेंट करने का फैसला किया और उक्त कल्याणी से जानकारी ली तो उसने अपना व्हाट्सएप नंबर दिया, फिर व्हाट्सएप पर एक वेबसाइट का लिंक भेजकर बताया कि कैसे-कैसे उसे उस वेबसाइट पर अपना यूजर आईडी बनाना है और भी क्या-क्या करना है।


उन पर विश्वास कर वह उनके बताए अनुसार वैसा-वैसा करता गया और सबसे पहले 10 हजार रुपये इंवेस्ट किया, जिसका मुनाफा दो दिन के अंदर कुल 23 हजार 776 रुपये उसके बैंक अकाउंट में आ गए। उसके बाद उसने 25 हजार रुपये इंवेस्ट किया तो बताया कि मैनेजमेंट ने न्यूनतम सीमा 50 हजार रुपये कर दिए हैं। इसके लिए आपको 25 हजार रुपये और इंवेस्ट करने होंगे नहीं तो पहले के 25 हजार भी नहीं निकाल पाओगे। पीड़ित ने 25 हजार का नुकसान बचाने के लिए और 25 हजार रुपये जमा कर दिए किंतु पुनः पॉलिसी बदलने की बात कहकर और एक लाख रुपये जमा करने को कहा गया। शक होने पर जब पीड़ित ने साइबर क्राइम को रिपोर्ट करने की बात कही तो उसका नंबर ब्लॉक कर दिया गया और वह वेबसाइट भी बंद हो गए।

सहयोग के लिए उत्तराखंड पुलिस ने गृह मंत्रालय 14सी का किया धन्यवाद
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) एसटीएफ नवनीत सिंह ने घटना के शीघ्र अनावरण के लिए पुलिस उपाधीक्षक साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून के पर्यवेक्षण में पुलिस टीम गठित कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। विवेचक निरीक्षक विकास भारद्वाज के नेतृत्व में गठित टीम ने साइबर ठग मास्टरमाइंड सोहिल (काल्पनिक नाम) निवासी मंगलौर जनपद हरिद्वार को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस टीम ने मोबाइल नंबरों का विश्लेषण करने के लिए 14सी गृह मंत्रालय के साथ समन्वय किया तो पूरे भारत में कई आपराधिक शिकायतें मिलीं। इसके अलावा और भी कई तथ्यों एवं अन्य पहलुओं पर विवेचना जारी है। उत्तराखंड पुलिस ने सहयोग के लिए गृह मंत्रालय 14सी के सीईओ डॉ. राजेश कुमार, निदेशक रूपा एम, उप निदेशक मुनीश दत्त, वरिष्ठ फोरेंसिक विश्लेषक रूशी मेहता को धन्यवाद दिया।

ग्रामीण महिलाओं को लालच देकर उनकी आईडी पर प्राप्त करता था फर्जी सिम कार्ड्स
गिरफ्तार आरोपित ने पूछताछ में बताया कि उसने अपने कस्बे की कई महिलाओं को फर्जी सरकारी स्कीम अथवा कंपनी की ओर से कप सेट देने का लालच देकर उनके आधार कार्ड आदि दस्तावेज व बायोमैट्रिक प्राप्त करके उनकी आईडी पर फर्जी तरीके से सिम कार्ड प्राप्त किया और वह इन सिम कार्ड्स से ओटीपी बायर को सिम कार्ड के जरिए ओटीपी बनाकर बेचता था। उसके बाद सिम कार्ड तथा मोबाइल को तोड़कर जला देता था।

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