भागवत कथा को अपने जीवन में करें आत्मसातः पं. भगवत चन्द्र जोशी

श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस में भावविभोर हुए भक्तजन

बित्थड़ (रानीखेत)। प्रख्यात कथा वाचक पं. भगवत चन्द्र जोशी ने कहा कि जहां पर श्रीमद् भागवत कथा होती है, वो साधारण जगह नहीं है। वो तो साक्षात् वृन्दावन के समान होता है। कथास्थल पर स्वयं भगवान अवतरित होते हैं। सभी तीर्थों के समान कथास्थल होता है।

ग्राम बित्थड़ में श्रीराधाबल्लभ परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ के दूसरे दिन प्रख्यात कथा वाचक पं0 भगवत चन्द्र जोशी ने नैमिषारण्य के पावन धाम से कथा की शुरूआत की। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के बराबर कोई दयालू नहीं है। उन्होंने कहा कि पत्थर के घर को घर नहीं कहते हैं। सच्चे अर्थों में गृहिणी से ही घर बनता है। उन्होंने कहा कि कथा प्रेमियों के पास बहुत अच्छा मौका है कि श्रीमद् भागवत कथा को अपने जीवन में आत्मसात करें। श्रीमद् भागवत वेदों का पका हुआ फल है। इसका रसपान बार-बार करना चाहिए। यह भक्ति त्याग, ज्ञान, वैराग्य का संदेश देने वाली है। इसमें हरिकथा है, हरि अर्थात् भगवान भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं।


इस मौके पर कथा व्यास पीठ से कथा व्यास पं0 भगवत चन्द्र जोशी, कैलाश जोशी, सांवरिया जोशी, राजेश जोशी, हेमचन्द्र पाण्डेय, पं0 कौस्तुभानन्द बिष्ट एवं श्री राधाबल्लभ परिवार की ओर से जयबल्लभ पाण्डेय, मोहन चन्द्र पाण्डेय, सुरेश चन्द्र पाण्डेय, गोपाल पाण्डेय, भुवन उर्फ शंकर, गणेश, हरीश पाण्डेय, प्रकाश पाण्डेय, केबी पाण्डेय उर्फ पप्पू, दीप चन्द्र पाण्डेय, राजू पाण्डेय, नवीन पाण्डेय, शुभम पाण्डेय, ललित पाण्डेय, तरूण पाण्डेय, रमेश जोशी, नितिन जोशी, हल्द्वानी से सपरिवार पधारे लीलाधर पाण्डेय, तारादत्त पाण्डेय तथा गांव से जगदीश चन्द्र पाण्डेय, मोहन चन्द्र पाण्डेय, रमेश पाण्डेय, महेन्द्र पाण्डेय, बसंत पाण्डेय, गणेश पाण्डेय समेत गांव बित्थड़ समेत पूरे ग्रामसभा पाण्डेकोटा के अनेक लोगों के साथ ही भारी संख्या में मातृशक्ति उपस्थित थी।

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