स्वस्थ रहने के लिए करें प्राकृतिक चिकित्सा का पालन

प्रकृति का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों को अपनाकर ही हम अपने आपको स्वस्थ और निरोग रख सकते हैं। इसके लिए हमें प्राकृतिक दिनचर्या का पालन करना चाहिए

प्रकृति का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों को अपनाकर ही हम अपने आपको स्वस्थ और निरोग रख सकते हैं। इसके लिए हमें प्राकृतिक दिनचर्या का पालन करना चाहिए जो निम्नलिखित है-
प्रतिदिन सूर्योदय से पहले ही बिस्तर छोड़ देना चाहिए। सुबह के समय सोकर उठते समय बायी ओर की करवट उठना चाहिए। इससे हमेशा स्वास्थ्य ठीक रहता है।

सुबह के समय जागने के तुरंत बाद मुंह में स्वच्छ जल भरकर आंखों पर उसकी छींटें मारनी चाहिए। इससे आंखों की रोशनी कमजोर नहीं पड़ती है और चश्मा पहनने वाले लोगों को चश्मंे से भी छुटकारा मिल जाता है।

तांबे या चांदी के बर्तन में रखा हुआ पानी चार गिलास की मात्रा में सुबह के समय शौच क्रिया से पूर्व ही पीने से कब्ज, बवासीर, नेत्र रोग, रक्तपित्त रोग तथा कफ से होने वाले रोग नहीं होते हैं तथा बहुत से रोगों से छुटकारा मिल जाता है।

सुबह के समय खाली पेट चाय पीना बहुत ही हानिकारक होता है। इसलिए खाली पेट चाय नहीं पीनी चाहिए।

शौच के लिए जाने में किसी भी प्रकार का आलस्य नहीं करना चाहिए। पेशाब और शौच करते समय हमेशा मसूढ़ों से दांतों को दबाकर रखना चाहिए इससे हमारे दांत मजबूत होते हैं तथा दांतों के रोग भी नहीं होते हैं। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि स्नान से पहले, शौच से पहले और सोने से पहले भोजन नहीं करना चाहिए और व्यायाम के बाद पेशाब अवश्य करना चाहिए। शौच के बाद गुदा को 8-10 बार संकोचन करना चाहिए इससे गुदा सम्बंधी रोग और शीघ्रपतन आदि रोग नहीं होते हैं।

सूर्य की ओर मुख करके मलमूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से चर्मरोग हो जाते हैं। सप्ताह में एक बार पूरे शरीर में तेल की अवश्य ही मालिश करनी चाहिए।

नीम की दातुन करना दांतों के लिए लाभकारी होता है। दांत या जीभ को साफ करते समय गले में स्थिति तालू की सफाई अंगूठे से अवश्य ही करनी चाहिए तथा गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे अवश्य ही करना चाहिए। इससे आंख, कान, नाक और गले के रोग नहीं होते हैं।
हमें समय निकालकर खुले बदन अवश्य ही धूप में बैठना चाहिए। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

सुबह के समय हमें अवश्य ही टहलना चाहिए क्योंकि टहलने से हमारा शरीर चुस्त और दुरुस्त बना रहता है।

स्नान करने से पूर्व सूखे तौलिये से 10 मिनट तक शरीर को रगड़ना चाहिए तथा स्नान करने के बाद भी हथेलियों से रगड़कर अपने शरीर को सुखाना चाहिए फिर इसके बाद भी हथेलियों से रगड़कर शरीर को सुखाकर तौलिये से पोंछना चाहिए।
भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए हम भोजन जब भी करें भूख से थोड़ा कम ही खाएं। इससे पाचन संबधी विकार नहीं होते हैं।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है कि हमें प्रतिदिन थोड़ी देर के लिए ध्यान मुद्रा में अवश्य रहना चाहिए। प्रतिदिन ध्यान करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

प्रतिदिन दिन में केवल दो बार ही भोजन करना चाहिए जिसमें अधिकतर फल, सब्जियां, ताजे और हरे पत्ते, अंकुरित अनाज के दाने, शहद आदि होने चाहिए। यदि हमें भोजन तीन बार करना पडेघ् तो तीसरी बार भोजन में तरल पदार्थ जैसे फलों का जूस आदि का सेवन करना चाहिए।

भोजन करने के बाद थोड़ी देर में वज्रासन में बैठना चाहिए अथवा भोजन के बाद 8 सांसे पीठ के बल लेटकर, 16 सांसे दाहिनी ओर की करवट लेटकर तथा 32 सांसे बायीं ओर की करवट लेटकर लेना चाहिए। इससे भोजन शीघ्र ही पच जाता है तथा वायु रोग भी नहीं होता है। इससे पेट में भरी हुई गैस बाहर निकल जाएगी। शाम के समय भोजन करने के बाद प्रतिदिन 10-15 मिनट अवश्य टहलना चाहिए।

भोजन करने के बाद लकड़ी के कंघे से सिर को खुजलाने से बालों का जल्दी गिरना, पकना, सिरदर्द और सिर का दाद, खाज-खुजली आदि विकार नष्ट हो जाते हैं।

शारीरिक थकावट होने पर हमें अधिक से अधिक आराम करना चाहिए। लगातार तीन घंटे काम करने के बाद थोड़ा सा विश्राम अवश्य ही करना चाहिए। इससे बहुत लाभ मिलता है।

स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। पानी पीने से स्वास्थ्य ठीक बना रहता है।

हमें प्रतिदिन दिन में कम से कम दो बार खुलकर अवश्य ही हंसना चाहिए। खुलकर हंसने वाला व्यक्ति रोगों से हमेशा दूर रहता है और वह स्वस्थ रहता है।

हमारे पहनने वाले वस्त्र सादे, सूती और स्वच्छ होने चाहिए। ऊनी कपड़ा तथा बहुत अधिक चुस्त कपड़ा भी नहीं पहनने चाहिए। चुस्त कपडेघ् पहनने से रक्त संचार प्रभावित होता है।

प्रत्येक महीने में अपने कानों में सरसों के शुद्ध तेल की कुछ बूंदे अवश्य डालनी चाहिए इससे कान स्वस्थ रहते हैं।

यदि हम प्रतिदिन चार-पांच तुलसी और नीम की पत्तियों का सेवन करें तो इससे शरीर में रोग नहीं होते हैं। इसलिए प्रतिदिन इसका सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक होता है।

हमें दिन के समय नहीं सोना चाहिए। दिन में सोना हमारे स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होता है।
अपने मन में सकारात्मक विचारों को लाना चाहिए। इससे मानसिक तनाव नहीं होता है। जिससे हमें मानसिक शांति मिलती है और मन प्रसन्न रहता है।

हमें अपने मन में निराशा को स्थान नहीं देना चाहिए तथा हमेशा आशावान बने रहना चाहिए क्योंकि आशावान व्यक्ति ही इच्छित वस्तु की प्राप्ति करता है।

किसी कार्य के लिए हमें हिम्मत नहीं खोनी चाहिए क्योंकि वहीं व्यक्ति जीतता है जो हिम्मत नहीं हारता है।

प्रतिदिन शाम को सोते समय पैरों को पानी से अच्छी तरह से धोकर और पानी पीकर सोना चाहिए। ऐसा करने से हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है।

सोने से पहले पानी से मुंह को साफ कर लेना चाहिए तथा हाथ-पैर और पैरों के तलुओं को भी साफ कर लेना चाहिए। इससे अच्छी नींद आती है।

हमें उत्तर दिशा अथवा पश्चिम दिशा की ओर पैर करके ही सोना चाहिए।

Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar
aapdeepak.hdr@gmail.com
9897902760

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