हरिद्वार। स्वामी रूद्रानंद गिरि महाराज ने कहाकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि महाराज को संत समाज से माफी मांगनी चाहिए। आनन्द गिरि के निष्कासन संबधी पत्र के लिए उन्होंने अखाड़ा परिषद के लैटर पैड का इस्तेमाल किस अधिकार से किया।
प्रेस को जारी बयान में स्वामी रूद्रानद गिरि महाराज ने कहाकि सभी अखाड़ों का अपना संविधान होता है और संचालन के लिए कार्यकारिणी। उन्होंने कहाकि अखाड़ा परिषद के गठन कुंभ पर्व के लिए प्रशासन व संत समाज के समन्वय के लिए किया गया था। जिससे कुंभ पर्व में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न हो। सभी अखाड़ों के दो-दो प्रतिनिधि अखाड़ा परिषद में शामिल होते हैं। उन्होंने कहाकि अखाड़ा परिषद का कार्य कुंभ पर्व तक ही सीमित होता है। अखाड़ा परिषद को अखाड़ों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का भी कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहाकि अखाड़ा परिषद के लेटर पैड का श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि ने दुरूपयोग किया है। उन्होंने आनन्द गिरि पर कार्यवाही के लिए अखाड़ा परिषद के लेटर पैड पर पत्र लिया, जो की एक अपराध है। उन्होंने कहाकि यदि किसी संत का परिवार से संबंध है और उस पर कार्यवाही की जानी है तो अखाड़ा परिषद को सभी अखाड़ों को पत्र लिखकर ऐसे संतों पर कार्यवाही की बात कहनी चाहिए थी, किन्तु अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहाकि जिस अखाड़ा परिषद के लेटर पैड पर पत्र लिखा यदि यह प्रस्ताव समूची अखाड़ा परिषद का है तो उसे पूरे विवरण को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। यदि अध्यक्ष पूरा विवरण नहीं बताते है। तो उन्हें संत समाज से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। उन्होंने अखाड़ा परिषद के शामिल अन्य अखाड़ों से भी इसका खुलासा करने के लिए आगे आने की अपील की।

माफी मांगे अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेन्द्र गिरिः रूद्रानंद


