हरिद्वार। स्वंय को जिला अधिकारी बताने वाले आरोपी निहार की जमानत उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकार कर ली गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार खन्ना नगर हरिद्वार निवासी चेतन अरोड़ा ने निहार कर्णवाल पुत्र राजेंद्र निवासी खन्ना नगर हरिद्वार के विरुद्ध कोतवाली ज्वालापुर में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में बताया था कि निहार ने अपने आप को उधमसिंह नगर का डीएम बताकर नौकरी के नाम पर धनराशि हड़प की तथा उसके भाई का मकान धोखाधड़ी करके फर्जी दान पत्र कराकर बेच दिया था।
इसके बाद नेहा ने कहा कि पीडी निरीक्षक पद की नौकरी समाप्त हो गई है, लेकिन वह एसडीएम के पद पर नौकरी दिला सकता है, जिसकी एवज में 70 लाख रुपए की मांग की। चेतना और उसके परिवार वालों ने किसी तरह व्यवस्था करके पैसे देने का आश्वासन दिया। कहा था कि बिहार ने अन्य लोगों के साथ मिलकर मकान का दान पत्र कराया तथा फर्जी चेक दिए। बाद में पैसे वापस मांगने पर ऐलानियां धमकी दी थी। इसके संबंध में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर निहार को गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया था।
निहार के अधिवक्ता दिनेश वर्मा ने बताया कि इस संबंध में निहार की और से जमानत के लिए उच्चतम न्यायालय में जमानत के लिए एसएलपी रेट पिटीशन दाखिल की गई तथा उक्त पिटीशन पर सुनवाई हुई थी।
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता दिनेश वर्मा ने बताया कि निहार की जमानत उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति द्वारा 21 अप्रैल को स्वीकार करते हुए दायर की गई एसएलपी स्वीकार कर ली है।