सम्पत्ति के चक्कर में पुरी से गिरि हो गए नरेन्द्र

फर्जी संतों पर कार्यवाही करने की बात कहने वाले स्वंय फर्जीः मदन मोहन गिरि
हरिद्वार।
श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के पूर्व मुख्यतयार श्रीमहंत मदन मोहन गिरि महाराज ने कहाकि फर्जी संतों पर कार्यवाही करने की बात करने वाले श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि खुद फर्जी संत हैं। महंत नरेन्द्र गिरि गिरि नामा न होकर पुरी नामा के महंत है। बाघम्बरी की सम्पत्ति के कारण ये पुरी से गिरि हो गए।
श्रीमहंत मदन मोहन गिरि महाराज ने कहाकि नरेन्द्र गिरि महाराज मढ़ी मुलतानी के हैं। जबकि गिरि नामा की 13 व 14 मढ़र अखाड़े में हैं। यदि नरेन्द्र गिरि गिरि नामा के हैं तो वे बताए की वह कौन सी मढ़ी के महंत हैं। उन्होंने बताया कि दो-ढ़ाई वर्ष नरेन्द्र गिरि मढ़ी मुलतानी के महंत भी थे। इस स्थिति में ये गिरि नामा कैसे हो सकते हैं। बताया कि अखाड़े की 18 मढ़ियों का हिसाब देखा जाए तो इनका नाम अभी भी मढ़ी में पुरी नामा में दर्ज होगा। उन्होंने कहाकि अखाड़े में पूर्व में ऐसा नहीं होता था। जो गिरि होता था वह गिरि ही रहता था। इसी प्रकार पुरी, वन, आश्रम आदि अपने नामा में ही प्रवृत्त रहते थे। उन्होंने कहाकि अब अखाड़े में परिस्थियां बदल गयी है। यही कारण है की उन्होंने अखाड़े से किनारा कर लिया है। अखाड़ों में अब साधुता समाप्त होती जा रही है। श्रीमहंत महन मोहन गिरि महाराज ने बताया कि आश्रम नामा का शिष्य अब गिरि नामा हो जाता है। इन सब के बाद भी संत समाज चुप है। ऐसे में अखाड़ांे की विरासत का पतन नहीं होगा तो क्या होगा।

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