पृथ्वी की प्यास बुझानी होगी: कल्याण सिंह
हरिद्वार । एसएमजेएन पीजी कॉलेज में आज अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महन्त रविन्द्र पुरी महाराज की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं शोध केन्द्र, देहरादून एसएमजेएन कॉलेज के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया। कार्यशाला में उत्तराखण्ड राज्य के विशेष सन्दर्भ में जल संरक्षण हेतु किये जा रहे प्रयासों व तकनीकों से जागरुक किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ सरस्वती वन्दना व द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया। सर्वप्रथम कॉलेज में निर्मित शौर्य दीवार पर शहीदों को नमन करते हुए पुष्प अर्पित कर राष्ट्रगान गाया गया तथा देश के अमर शहीदों को पुष्पाजंली अर्पित की। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुनील बत्रा, कार्यक्रम संयोजक डॉ. संजय माहेश्वरी व डॉ. सरस्वती पाठक आदि द्वारा सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर सभी को जल संरक्षण की शपथ भी दिलायी।
राष्ट्रीय कार्यशाला में मैती आन्दोलन के प्रेणता कल्याण सिंह रावत ने अपने सम्बोधन में कहा कि जल की समस्या सिर्फ भारत के लिए ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में फैली हुई है। जल के तीन रूप तरल, वाष्प व ठोस जो प्रकृतिवश अपनी उपयोगिता को समय पर दर्शाता है। एक नदी का महत्व सिर्फ उसके कारण नहीं है बल्कि छोटे-छोटे स्रोतों के सहयोग से उसका अस्तित्व बना रहता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के विभिन्न धार्मिक पर्यटक स्थल हिमालय की उच्चतम श्रेणियो में विराजमान हैं। प्राचीन काल में धार्मिक यात्रा के दौरान धार्मिक तीर्थाटन करने वाले व्यक्ति यहाँ पर प्रकृति के जल, जमीन एवं ऑक्सीजन से अपने रोगों को दूर करते थे, क्याोंकि वहां बिल्कुल भी प्रदूषण नहीं था। उन्होंने कहा कि जल व जंगल को तभी बचा सकेंगे जब हम स्वयं जमीन से जुड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमें पर्यावरण संरक्षण कर पृथ्वी की प्यास बुझानी होगी। भारत की 42 प्रतिशत आबादी गंगा पर निर्भर है, लेकिन हमने गंगा को भी जहर बना दिया है।
पर्यावरणविद प्रो. बी.डी. जोशी ने कहा कि जल संरक्षण के लिए हमें प्रकृति की प्रत्येक वस्तु का संरक्षण करना चाहिए। उन्होंने उपस्थित सभी से आह्वान किया कि राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में हिस्सा लेकर हम जल संरक्षण कर सकते हैं।
डीएवी कॉलेज के डॉ. पुष्पेन्द्र शर्मा ने कहा कि हमारी जीवन की पूरी दिनचर्या ही जल से प्रारम्भ होकर जल पर ही समाप्त होती है, किसी भी कार्य के लिए हमें उचित मात्रा में ही जल का प्रयोग करना चाहिए। जल की सुरक्षा हमारे घर से ही प्रारम्भ होती है।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के अरूणेश पाराशर, प्राचार्य डॉ. सुनील बत्रा, मदरहुड यूनिसर्विटी के अभिषेक स्वामी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने जल संरक्षण से सम्बन्धित मॉडल की प्रदर्शनी भी लगायी गयी, जिसकी सभी अतिथियों ने प्रशंसा की। इस अवसर पर डॉ. पुष्पेन्द्र शर्मा, डॉ. रश्मि रावत त्यागी द्वारा लिखित पुस्तक का प्रो. बी.डी. जोशी, डॉ. कल्याण सिंह रावत व प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार बत्रा द्वारा विमोचन भी किया गया। राष्ट्रीय कार्यशाला में डॉ. मन मोहन गुप्ता, डॉ. सरस्वती पाठक, डॉ. जगदीश चन्द्र आर्य, डॉ. विनीता चौहान, डॉ. दीपा अग्रवाल, डॉ. मधु, डॉ. ऋचा चौहान, डॉ. धर्मेन्द्र कुमार, श्रीमती रिंकल गोयल, डॉ. शिवकुमार चौहान, डॉ. मनोज कुमार सोही, डॉ. पदमावती तनेजा, डॉ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, प्रियंका प्रजापति, डॉ. निविन्धया शर्मा, साहित कॉलेज के अनेक शिक्षक उपस्थित थे। संचालन डॉ. प्रज्ञा जोशी ने किया।