जमीन के ऊपर की करीब आधा इंच मिट्टी हटाकर नीचे की मिट्टी इकट्ठा करें। यह मिट्टी एकदम शुद्ध होनी चाहिये ,याने इसमें कंकड, पत्थर वगैरह नहीं होना चाहिये। अब इस मिट्टी में गरम पानी डालते जाएं और घोल बनाते जाएं। इसे ठंडा होने दें। अब जरूरत के मुताबिक आकार का कपडे का टुकडा बिछाकर उस पर यह गीली मिट्टी एकरस फैला दें। यह हुई मड पेक तैयार करने की विधि। इसे रोग प्रभावित स्थान पर आधे से एक घंटा रखना चाहिये। इस चिकित्सा से सामान्य कमजोरी और नाडी मंडल के रोग दूर किये जा सकते हैं। यह प्रयोग ज्वर उतारने में सफल है, फ्लू का ज्वर और खसरा रोग में भी इसके चमत्कारी परिणाम आते हैं। इस चिकित्सा से गठिया रोग, सूजन,आंख और कान के रोग, वात विकार, लिवर और गुर्दे की कार्य प्रणाली में व्यवधान, पेट के रोग,कब्ज, यौन रोग, शरीर के दर्द, सिर दर्द और दांत के दर्द आदि रोगों शमन होता है।
मिट्टी को गीला कर घोल बनाकर उससे स्नान करना मिट्टी चिकित्सा का दूसरा रूप है। पूरे शरीर पर यह कीचड चुपडा जाता है। इसे बनाने के लिये मिट्टी को गरम पानी डालते हुए घोला जाता है। यह घोल शरीर पर भली प्रकार लगाकर ऊपर से एक -दो कंबल भी लपेट दिये जाते हैं। आधा-एक घंटे बाद गरम जल से नहालें। बाद में थोडे समय ठंडा पानी से स्नान करें। इस प्रकार के कीचड स्नान से त्वचा रोगों मे आशातीत लाभ होता है। चमडी मे रौनक आ जाती है। रंग रूप में निखार आता है। नियमित रूप से कीचड स्नान करने से सोरियासिस, सफेद दाग और यहां तक कि कुष्ठ रोग भी ठीक हो जाते हैं। जोडों के दर्द,गठिया रोग में यह बेहद फायदेमंद उपचार हैस

मिट्टी से करें रोगों का इलाज

