हरिद्वार। कर्नाटक सरकार द्वारा हिंदू मठ मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किए जाने हेतु कानून बनाए जाने की घोषणा करने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कर्नाटक सरकार का आभार व्यक्त किया है। प्रैस को जारी बयान में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई द्वारा कहा गया कि दूसरे समुदाय के लोगों के पूजा स्थल विभिन्न कानूनों से सुरक्षित है और वह इसका पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन हमारे हिंदू मंदिरों पर कई तरह के नियंत्रण है और वह सरकारी नियम कानूनों से बंधे हुए हैं। हिंदू मंदिरों को इस तरह के नियंत्रण एवं कानूनों से मुक्त किया जाना चाहिए। जिसका अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दिल से स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार के बजट सत्र से पहले यह कानून लागू होना चाहिए। जिससे सरकार के अधिग्रहण वाले मठ मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो सकें। उन्होंने कहा कि साथ ही केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों को ऐसा कानून बनाना चाहिए। जिससे उनके द्वारा धिगण किए गए मठ मंदिर व हिंदू धर्म स्थल सरकारी नियंत्रण से मुक्त हों। क्योंकि हिंदू धर्म स्थलों का धन उनके विकास एवं जीर्णोद्धार और शिक्षा चिकित्सा आदि में खर्च हो और सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में उसका प्रयोग हो। ऐसी सभी संत कामना करते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि केंद्र सरकार को मठ मंदिर मुक्ति हेतु कड़ा कानून बनाना चाहिए जो सभी राज्य में सख्ती से लागू हो। जिससे हिंदू धर्म स्थलों के धन का दुरुपयोग ना हो और उनके रखरखाव और संचालन की व्यवस्था और बेहतर हो सके। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष महंत जसविंदर सिंह एवं युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत शिवानंद महाराज ने कहा कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है।