नारायण निवास आश्रम फर्जी ट्रस्ट विवादः सरकारी गवाह बने सकते हैं ट्रस्ट में शामिल एक संत

हरिद्वार। नारायण निवास आश्रम के नाम से फर्जी धर्मार्थ ट्रस्ट बनाने के मामले में नया मोड़ आ सकता है। फर्जी ट्रस्ट में शामिल एक संत सरकारी गवाह बन सकते हैं, जिस कारण से पर्दे पर व पर्दे के पीछे से आश्रम की सम्पत्ति को खुर्दबुर्द करने वालों की मुसीबते बढ़ सकती है।


बता दें कि नारायण निवास आश्रम भूपतवाला के संत के ब्रह्मलीन होने के बाद फर्जी ट्रस्ट बना लिए जाने के बाद शहर कोतवाली पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर फर्जी ट्रस्ट में भारत माता मंदिर के स्वामी समेत 20 आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत प्रभावी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। हालांकि भारत माता मंदिर ने स्वामी की ओर से अपना पल्ला झाड़ लिया है और उनका मंदिर किसी भी प्रकार का संबंध नहीं होने की बात कही है।


संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के दृष्टगित स्वामी रामेश्वरानंद ने नारायण निवास आश्रम धर्मार्थ ट्रस्ट का निर्माण किया। जिसे अगस्त 2019 में सब रजिस्ट्रार के यहां रजिस्टर्ड करा लिया गया। ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी स्वंय थे, जबकि अन्य पदाधिकारी भी बनाए गए। उनकी मृत्यु के बाद स्वामी अवधेशानन्द ने खुद को शिष्य बताते हुए दिसंबर 2019 में एक नए ट्रस्ट का गठन कर लिया। इस मामले में पुलिस ने संतों व भाजपा नेताओं समेत 20 लोगों के खिलाफ मुकद्मा दर्ज किया गया है।
मुकद्मा दर्ज होने के बाद से सभी में खलबली मची हुई है। सभी इस मामले से अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं और स्वंय को पाक-साफ बताने पर उतारू हैं। वहीं 20 लोगों के बाद एक और नाम सामने आया है, जो ट्रस्ट का संरक्षक है।


सूत्र बताते हैं कि इस मामले में अब नया मोड़ आने वाला है। फर्जी ट्रस्ट में शामिल एक संत सरकारी गवाह बन सकता है। सूत्रों की माने तो संत का कहना है कि उनके पास कागजात लेकर श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के एक महंत व खादीधारी संत आए थे। और उन्हें तरह-तरह की बातें बताकर कागजों पर उनके हस्ताक्षर करवा लिए। उन्हें इस फर्जीवाड़े के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी, जबकि किसी भी ट्रस्ट आदि से उनका कोई लेना-देना नहीं हैं। वहीं इन दो लोगों के अलावा इस खेल में एक और बड़ा नेता शामिल है। सूत्रों की माने तो संत का कहना है कि सभी ने मिलकर उनके साथ विश्वासघात किया है। इन सबको देखते हुए बताया जा रहा है कि संत इस मामले में अपना प्रार्थना पत्र देकर कभी भी सरकारी गवाह बन सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो सरक्षक, महंत व पर्दे के पीछे खेल खेल रहे नेता की मुसीबतें बढ़ सकती हैं।

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