मनुष्य के जीवन की सभी समस्याओं का हल योग है : शिवकृपानंद स्वामी

हिमालय के महर्षि शिवकृपानंद स्वामी प्रेरित हिमालयीन ध्यानयोग महाशिविर में बड़ी तादाद में लोग इस शिविर का लाभ ले रहे हैं। स्वामीजी की जन्मस्थली नागपुर में स्वामीजी के सान्निध्य में पहली बार यह महाशिविर का आयोजन हुआ है। महाशिविर के सातवें दिन उपस्थित अतिथि विशेष भावनगर, गुजरात के सांसद डॉ. भारतीबहन शियाल, डीवाईएसपी, ह्यूमन राइट्स कमीशन एरिया, गुजरात श्रीमती कृष्णाबा डाभी, डीवाईएसपी, सीआईडी क्राइम, गांधीनगर, गुजरात श्रीमती मीनाक्षी बहन पटेल, इंडस्ट्री सेल, महाराष्ट्र के प्रेसिडेंट श्री मिलिंद कानडे जी, नागपुर डिस्ट्रीक्ट क्रेडिट सोसाइटी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजेंद्र घाटे, शंकर महाराज मठ, पुणे के चेयरमैन सतीश कोकाटे, यूसीएन परिवार के राजेश मोधघरे, हिमालयीन ध्यानयोग, पेरू की साधिका श्रीमती जिओवाना अलडोरे जी तथा गुरुपुत्र एवं श्री शिवकृपानंद स्वामी फाउंडेशन के निर्देशक अंबरीष जी के ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का आरंभ हुआ। गुरुमाँ के आगमन के बाद साधकों द्वारा बजाए गए शंखनाद के साथ स्वामीजी का आगमन हुआ।

स्वामीजी ने सुख के बारे में बताया कि आप सुख के लिए स्वावलंबी बनो। परमात्मा के लिए स्वावलंबी बनो। परमात्मा आपके भीतर है। सुख भी आपके भीतर ही है। आप किसी पहाड़ी पर जाते हो, आप किसी समुद्र किनारे जाते हो, वहाँ सुख मिलता है, शांति मिलती है तो वह सुख पहाड़ी का है, समुद्र का है, आपका नहीं है। आप किसी गुरु के सान्निध्य में जाते हो, वहाँ जाकर आपको अच्छा लगता है वह उनके आभामण्डल के कारण है, वह सुख आपका नहीं है। आपका सुख आपके भीतर है, आपके अंदर है। जब तक आप भीतर नहीं जाएँगे आपको उस सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती। आवश्यकता है परमात्मा को अपने भीतर अनुभव करने की, सुख को अपने भीतर अनुभव करने की।

स्वामीजी ने समझाया कि देश के चार प्रमुख स्तंभ हैं; डॉक्टर, लॉयर, पोलिस और पॉलिटीशियन। इन चारों स्तंभ के लोगों के आसपास सदैव दूषित वातावरण रहता है इसलिए उनको ध्यान की अत्यंत आवश्यकता है। जो बेलेंस व्यक्ति है उसके प्रयत्न भी बेलेंस होंगे, उसका रिजल्ट भी बेलेंस होगा। पॉलिटीशियन को संबोधित करते हुए स्वामीजी ने कहा कि दिनभर में एक कार्य ऐसा करो जिससे आपकी आत्मा खुश हो। आपकी आत्मा जितनी खुश होगी, उतनी ही सशक्त होगी और जितनी सशक्त होगी उतनी ही आपको गाइड करेगी, आपको डिसीजन लेने में मदद करेगी। पूज्य स्वामीजी ने कहा कि अगर इनकी स्थिति अच्छी होगी तो उनके क्षेत्र की स्थिति अच्छी होगी। उनके क्षेत्र की स्थिति अच्छी होगी तो सरकार की स्थिति अच्छी होगी और सरकार की स्थिति अच्छी होगी तो देश की स्थिति अच्छी होगी।

इसके अलावा स्वामीजी ने बताया कि मनुष्य के जीवन की सभी समस्याओं का हल योग है। मनुष्य की जितनी भी समस्या हैं वह शरीर से संबंधित है और जब आपका शरीर भाव ही समाप्त हो जाएगा, समस्या भी समाप्त हो जाएगी।

प्रवचन के अंत में स्वामीजी ने ‘मैं एक पवित्र आत्मा हूँ, मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ’, यह मंत्र से ध्यान करवाया। ध्यान में सभी को बहुत ही सुंदर अनुभूतियाँ हुईं।

शिविर में आध्यात्मिक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया है। आध्यात्मिक प्रदर्शनी में ‘चैतन्य’, ‘योग से समग्र योग’, ‘बाल संस्कार’, ‘मंगलकारी कृषि’, ‘पंच महाभूत के निदर्शन’ जैसे कई विषयों पर चित्रों और प्रयोग के साथ बहुत ही अच्छे से समझाया गया है।

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